नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) का योगदान 2030 तक बढ़कर 200 अरब अमेरिकी डॉलर तक हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि इससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी तैयार होंगे।
सीतारमण ने सीआईआई – जीसीसी व्यावसायिक शिखर सम्मेलन में कहा कि 2024 में प्रति सप्ताह औसतन एक नया जीसीसी स्थापित किया गया और फॉर्च्यून 500 कंपनियों में लगभग 50 प्रतिशत ने भारत में अपने जीसीसी स्थापित किए हैं।
जीसीसी भारत में लगभग 21.6 लाख पेशेवरों को रोजगार देते हैं, जो पिछले पांच वर्षों में सालाना 11 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। यह आंकड़ा 2030 तक बढ़कर 28 लाख तक होने की उम्मीद है।
सीतारमण ने कहा, ‘‘भारत का जीसीसी क्षेत्र प्रत्यक्ष सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) के रूप में 68 अरब अमेरिकी डॉलर का योगदान देता है, जो राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.6 प्रतिशत है।’’
उन्होंने आगे कहा कि 2030 तक जीसीसी से सकल मूल्य संवर्धन 150-200 अरब डॉलर के बीच हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं विकास जीसीसी की स्थापना दर समग्र जीसीसी स्थापना की तुलना में 1.3 गुना तेजी से बढ़ी है। इससे भारत में उच्च मूल्यवर्धित कार्य की ओर एक स्पष्ट बदलाव का संकेत मिलता है।
भारत में लगभग 1,800 जीसीसी हैं, जो 21.6 लाख पेशेवरों को रोजगार देते हैं। यह संख्या 2030 तक बढ़कर 28 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है।
सीतारमण ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही कम संख्या है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी प्रतिभा दूसरे देशों की तुलना में अधिक किफायती है। अनुमान है कि भारत में कार्यबल की लागत अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की तुलना में 30-50 प्रतिशत कम है।’’
भाषा पाण्डेय अजय
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