कोलकाता, 14 जुलाई (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सोमवार को एक एकल पीठ के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसके तहत राज्य सरकार और पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) को स्कूल शिक्षकों की चयन प्रक्रिया आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया था।
न्यायमूर्ति सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। खंडपीठ में न्यायमूर्ति स्मिता दास डे भी शामिल हैं।
पीठ के निर्देशानुसार, राज्य सरकार, पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और डब्ल्यूबीएसएससी ने स्कूल भर्ती मामले में सर्वोच्च न्यायालय में दायर हलफनामों की प्रतियां पेश कीं, जिसमें चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं के कारण लगभग 26,000 नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।
सोमवार की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि शिक्षकों की भर्ती के लिए अधिसूचना आधुनिक समय की आवश्यकता और छात्रों के हित के अनुसार है।
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए 30 मई को प्रकाशित अधिसूचना कानून के अनुरूप थी।
दत्ता ने दलील दी कि एकल पीठ के समक्ष पेश याचिकाकर्ता (जिसने खुद को अभ्यर्थी बताया था) को इस मामले में अदालत का रुख करने का कोई अधिकार नहीं है।
राज्य सरकार, डब्ल्यूबीएसएससी और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने एकल पीठ के सात जुलाई के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार और आयोग को शिक्षण कर्मचारियों की चयन प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया गया था, जो 30 मई की भर्ती अधिसूचना के तहत शुरू हुई थी।
एक अभ्यर्थी ने एकल पीठ के उस आदेश के खिलाफ भी याचिका दायर की थी, जिसमें चयन प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए पात्र अभ्यर्थियों को चुनने के वास्ते स्नातक/स्नातकोत्तर स्तर पर न्यूनतम अंक निर्धारित करने तथा अंकों के आवंटन के प्रारूप को बदलने से जुड़े 2025 के नियमों के कुछ प्रावधानों को दी गई चुनौती पर विचार नहीं किया गया था।
भाषा पारुल प्रशांत
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