भुवनेश्वर, 14 जुलाई (भाषा) ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने हाल ही में हुई उन दोनों घटनाओं पर सोमवार को चिंता व्यक्त की, जिनमें से एक घटना में आदिवासी दंपति को परंपरागत रीति-रिवाजों का ‘उल्लंघन’ करने पर लकड़ी के हल से बांधकर गांव में घुमाया गया था।
हरिचंदन ने इस घटना के संबंध में कहा कि ऐसी ‘कंगारू’ अदालत चलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
‘कंगारू’ अदालत एक अवैध अदालत होती है, जहां कानून या न्याय के स्थापित सिद्धांतों का पालन नहीं किया जाता और लोगों को गलत सजाएं दी जाती हैं।
हरिचंदन ने इन कृत्यों को ‘‘अनैतिक’’ करार देते हुए कहा, ‘‘हम घृणित प्रथाओं और कंगारू अदालतों को प्रोत्साहित नहीं करेंगे। राज्य सरकार ने पहले ही कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। ऐसे कृत्यों में शामिल व्यक्ति को दंडित किया जाएगा।’’
उन्होंने ऐसी घटनाओं के लिए लोगों में जागरूकता की कमी को जिम्मेदार ठहराया, खासकर दूरदराज के इलाकों में।
राज्य के कानून मंत्री ने कहा, ‘‘कानून को अपने हाथ में लेने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।’’
पिछले सप्ताह रायगढ़ और कोरापुट जिलों से दो ऐसी घटनाएं सामने आई थीं, जहां पीड़ितों को ‘सार्वजनिक रूप से अपमानित’ किया गया था। एक घटना में, एक आदिवासी जोड़े को एक ही गोत्र में शादी करने एवं सामुदायिक परंपराओं के विरुद्ध जाने पर दंड के रूप में हल से बांध दिया गया था।
कंगारू अदालत ने ‘शुद्धीकरण’ अनुष्ठान के लिए दंपति को यह सजा सुनाई थी।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि रविवार को नदिमेइतीकी गांव में हुई इस घटना के बाद कोरापुट जिले के नारायणपटना थाने में मामला दर्ज किया गया है।
इसी तरह, रायगढ़ जिला प्रशासन की एक टीम ने कल्याणसिंहपुर पुलिस सीमा के अंतर्गत कंजामाजोडी गांव का दौरा किया, जहां पिछले बुधवार को एक युवा जोड़े को उनके कंधों पर जुआ बांधकर घुमाया गया और ग्रामीणों एवं समुदाय के बुजुर्गों के सामने उन्हें खेत जोतने के लिए मजबूर किया गया।
भाषा
प्रीति अविनाश
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