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Tuesday, July 15, 2025

पैदल, ऑटो, स्कूटी… अलग-अलग साधन, पर उमर, फारूक और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेताओं की मंजिल एक

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(तस्वीरों के साथ)

श्रीनगर, 14 जुलाई (भाषा) कश्मीर में 1931 में तत्कालीन राजा की सेना की गोलीबारी में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कब्रिस्तान की ओर पैदल ही तेज़ तेज़ चलने लगे तो उनके सुरक्षा कर्मियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं उनके पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ऑटोरिक्शा से तो मंत्री सकीना इट्टी एक स्कूटी पर पीछे बैठकर शहीद स्मारक पहुंचीं।

श्रीनगर में सोमवार को उस समय अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिला जब नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता 13 जुलाई 1931 को डोगरा सेना द्वारा मारे गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए नक्शबंद साहिब कब्रिस्तान की ओर जा रहे थे। रविवार को ‘शहीद दिवस’ को नेताओं को कथित तौर पर नजरबंद कर दिया गया और शहीदों की कब्रों तक जाने से रोक दिया गया।

एक दिन बाद, उन्होंने निश्चय किया कि उन्हें कोई रोका न पाए – भले ही पुलिस ने सड़क को सील कर दिया हो और दरवाज़ों पर ताला लगा दिया हो।

इसलिए, केंद्र शासित प्रदेश के 55 वर्षीय मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, फुर्ती से कब्रिस्तान के द्वार पर चढ़ गए।

पुलिस ने उन्हें और उनके साथियों को परिसर में प्रवेश करने से रोकने के लिए गेट बंद कर दिया था, लेकिन जब उन्होंने अचानक ऊंचाई पर चढ़ने का फैसला किया तो पुलिस आश्चर्यचकित रह गई।

उमर अब्दुल्ला की फुर्ती ने सुरक्षा अधिकारियों को मुश्किलों में डाल दिया। दरअसल, पुलिस के सड़क को सील करने के कारण उनके वाहन को आगे बढ़ने से रोक दिए गया और इसके बाद उन्होंने खानयार चौक से पुराने शहर में नक्शबंद साहिब तक पैदल जाने का निर्णय लिया था।

मुख्यमंत्री को ‘जेड प्लस’ सुरक्षा प्राप्त है और उनके निजी सुरक्षाकर्मी एक किलोमीटर के रास्ते में कदम-दर-कदम उनके साथ रहे। उनके सुरक्षाकर्मी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के कई अन्य नेता भी गेट खोले जाने से पहले वहां पहुंच गए।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने खानयार चौक पर पुलिस द्वारा वाहन रोके जाने के बाद शहीद स्मारक तक पहुंचने के लिए ऑटोरिक्शा लिया। 87 वर्षीय वयोवृद्ध नेता अपने 45 वर्ष के राजनीतिक जीवन में अपरंपरागत राजनीति के लिए जाने जाते हैं।

उमर अब्दुल्ला मंत्रिमंडल में एकमात्र महिला मंत्री इट्टू ने अपनी पार्टी के नेताओं और मीडियाकर्मियों को आश्चर्यचकित कर दिया, जब वह एक स्कूटी पर पीछे बैठकर शहीद स्मारक पहुंचीं।

बताया जाता है कि खानयार चौक पर पुलिस द्वारा उनकी कार रोके जाने के बाद मंत्री ने एक राहगीर से लिफ्ट मांगी।

पुलिस अधिकारियों ने हार नहीं मानी और जब मुख्यमंत्री विशिष्ट कब्रों की ओर जा रहे थे तो उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन अब्दुल्ला उनके हाथों को झटकने में कामयाब रहे।

मुख्यमंत्री ने अपने निजी ‘एक्स’ हैंडल पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ‘मुझे शारीरिक जोर-जबर्दस्ती झेलनी पड़ी लेकिन मैं मजबूत इरादों वाला हूं और मुझे रोका नहीं जा सकता था। मैं कोई गैरकानूनी या गलत काम नहीं कर रहा था। बल्कि इन ‘कानून के रखवालों’ को यह बताना चाहिए कि वे हमें फातिहा पढ़ने से रोकने के लिए किस कानून का सहारा ले रहे थे।”

भाषा नोमान संतोष

संतोष

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