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Tuesday, July 15, 2025

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने आईएसएस पर शून्य-गुरुत्वाकर्षण प्रयोग का प्रदर्शन किया

Newsअंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने आईएसएस पर शून्य-गुरुत्वाकर्षण प्रयोग का प्रदर्शन किया

नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाष) ‘एक्सिओम-4’ मिशन के पायलट शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पानी से संबंधित एक शून्य-गुरुत्वाकर्षण प्रयोग का प्रदर्शन किया है, जिससे कि यह दर्शाया जा सके कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण किस प्रकार रोजमर्रा की भौतिकी को बदल देता है।

यह प्रयोग एक्सिओम स्पेस के पहुंच और वैज्ञानिक मिशन का हिस्सा था, जिसने अंतरिक्ष में पानी के अनोखे व्यवहार पर प्रकाश डाला।

आईएसएस पर 18 दिन के प्रवास के बाद शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री- वाणिज्यिक ‘एक्सिओम-4’ मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन और मिशन विशेषज्ञ पोलैंड के स्लावोज़ उज्नान्स्की-विस्नीवस्की तथा हंगरी से टिबोर कापू सोमवार शाम पृथ्वी की वापसी यात्रा पर रवाना हुए।

सतह तनाव का फ़ायदा उठाते हुए शुक्ला ने पानी का एक तैरता हुआ बुलबुला बनाया। उन्होंने मज़ाक में कहा, ‘‘मैं यहाँ स्टेशन पर पानी को घुमाने वाला बन गया हूँ।’’

अन्य अंतरिक्ष यात्री व्हिटसन ने एक प्लास्टिक बैग को गोले में धीरे से दबाया, जिससे यह प्रदर्शित हुआ कि कैसे सतह का तनाव सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में चुंबक की तरह व्यवहार करता है, तथा वस्तु से चिपक जाता है और लेंस की तरह प्रकाश को विकृत कर देता है।

अंतरिक्ष यात्रियों ने न केवल विज्ञान से जुड़ने के अवसर के बारे में बताया, बल्कि अंतरिक्ष से पृथ्वी के आश्चर्य और सौंदर्य को भी संप्रेषित करने के अवसर के बारे में बताया।

शुक्ला ने आईएसएस पर कहा, ‘‘मैं हर पल का आनंद लेने की कोशिश करता हूँ – बस खिड़की के पास बैठकर नीचे देखता हूँ। यह अब तक का सबसे खूबसूरत नज़ारा है, जो मैंने देखा है।’’

व्हिटसन ने कहा कि चालक दल अपने दो सप्ताह के मिशन के पूर्ण होने के करीब है, जिसके दौरान उन्होंने शिक्षा और सार्वजनिक सहभागिता के साथ कठोर वैज्ञानिक अनुसंधान को संतुलित किया है।

उनके मिशन में भारत, हंगरी और पोलैंड सहित विश्व भर के छात्रों और स्टेम समुदायों तक पहुंच बनाना भी शामिल है।

स्टेम समुदाय का मतलब विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के प्रति जिज्ञासा रखने वाले लोगों के समूह से है।

शुक्ला ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे अंतरिक्ष में आने की तुलना में पृथ्वी पर जाते समय बेहतर प्रदर्शन करेंगे, क्योंकि इस दौरान उन्हें अंतरिक्ष में कुछ शारीरिक दिक्कत हुई थी।

अपने अंतरिक्ष प्रवास के अंतिम चरण में शुक्ला एक किसान बन गए और उन्होंने पेट्री डिश में अंकुरित हो रहे ‘मूंग’ और ‘मेथी’ के बीजों की तस्वीरें लीं तथा उन्हें अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के भंडारण फ्रीजर में रख दिया। यह अध्ययन इस बात पर आधारित था कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण किस प्रकार अंकुरण और पौधों के प्रारंभिक विकास को प्रभावित करता है।

शुक्ला ने नौ जून को एक्सिओम अंतरिक्ष की मुख्य वैज्ञानिक लूसी लो के साथ बातचीत में कहा, ‘‘मुझे बहुत गर्व है कि इसरो देश भर के राष्ट्रीय संस्थानों के साथ मिलकर कुछ बेहतरीन शोध कर पाया है, जो मैं स्टेशन पर सभी वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए कर रहा हूँ। ऐसा करना रोमांचक और आनंददायक है।’’

अंकुरण प्रयोग का नेतृत्व दो वैज्ञानिकों- कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ के रविकुमार होसामनी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, धारवाड़ के सुधीर सिद्धपुरेड्डी द्वारा किया जा रहा है।

एक्सिओम स्पेस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि एक बार पृथ्वी पर वापस आने के बाद बीजों को कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा, ताकि उनके आनुवंशिकी, सूक्ष्मजीवी पारिस्थितिकी तंत्र और पोषण प्रोफाइल में होने वाले परिवर्तनों का परीक्षण किया जा सके।

शुक्ला ने एक अन्य प्रयोग में सूक्ष्म शैवालों का इस्तेमाल किया जिनकी भोजन, ऑक्सीजन और यहाँ तक कि जैव ईंधन उत्पन्न करने की क्षमता की जाँच की जा रही है।

उन्होंने फसल के बीजों पर प्रयोग के लिए भी तस्वीरें लीं, जहाँ मिशन के बाद कई पीढ़ियों तक छह किस्में उगाई जाएँगी। इसका लक्ष्य अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती के लिए आनुवंशिक विश्लेषण के वास्ते वांछनीय गुणों वाले पौधों की पहचान करना है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को कहा कि शुक्ला द्वारा जीवन विज्ञान और अन्य क्षेत्रों से संबंधित प्रयोगों में स्वदेशी किट का इस्तेमाल किया गया।

सिंह ने आईआईटी जम्मू में अनुसंधान एवं विकास में कार्य सुगमता पर आयोजित परामर्श बैठक से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘जैसा कि प्रधानमंत्री कहते हैं ‘वसुधैव कुटुम्बकम’-स्वदेशी किट का उपयोग करके एक भारतीय द्वारा किए गए इन सभी प्रयोगों का लाभ पूरे विश्व को मिलेगा।’’

‘एक्सिओम-4’ मिशन की अंतरिक्ष यात्रा 25 जून को तब शुरू हुई थी, जब ड्रैगन अंतरिक्ष कैप्सूल को ले जाने वाला फाल्कन-9 रॉकेट फ्लोरिडा से आईएसएस की ओर रवाना हुआ।

भाषा नेत्रपाल दिलीप

दिलीप

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