जम्मू, 15 जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) द्वारा जम्मू-कश्मीर में नायब तहसीलदार के पद पर आवेदन के लिए उर्दू की अनिवार्यता वाले सरकारी आदेश पर रोक लगाए जाने के फैसले का सोमवार को स्वागत किया।
कैट ने जम्मू-कश्मीर सेवा चयन भर्ती बोर्ड (एसएसआरबी) को निर्देश दिया कि वह उन अभ्यर्थियों के आवेदन स्वीकार करे जिनके पास स्नातक की डिग्री हो और पांच आधिकारिक भाषाओं- हिंदी, कश्मीरी, अंग्रेजी, डोगरी और उर्दू में से किसी एक का ज्ञान हो।
भाजपा विधायक दल ने सोमवार को सचिवालय और विधानसभा के सामने धरना दिया और जम्मू-कश्मीर में नायब तहसीलदार परीक्षाओं के लिए उर्दू की अनिवार्यता वाले सरकारी आदेश को रद्द करने की मांग की।
उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील एवं विधायक आर.एस. पठानिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) सरकार के इस अवैध और भेदभावपूर्ण आदेश पर रोक लगाने के कैट के फैसले का स्वागत करते हैं। यह हमारी जीत है।’’
अधिकरण के सदस्य (ए) राम मोहन जौहरी और सदस्य (जे) राजिंदर सिंह डोगरा की पीठ ने इस मामले पर फैसला सुनाया।
आवेदकों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव शर्मा और अधिवक्ता अभिराश शर्मा ने पैरवी की जिन्होंने उर्दू भाषा की शर्त को ‘‘भारतीय संविधान के विरुद्ध’’ बताते हुए चुनौती दी और कहा कि यह समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
कैट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर उन्हें इस आदेश की तिथि से चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। सुनवाई की अगली तारीख 13 अगस्त तय की गई है।
भाजपा विधायक ने कहा कि यह राहत भरी खबर है कि कैट ने उर्दू संबंधी सरकारी आदेश पर रोक लगा दी है।
उन्होंने कहा, ‘‘अब सभी अभ्यर्थी नायब तहसीलदार पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। भाषा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है।’’
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