नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने 21 जुलाई से शुरू होने वाली एक योजना की मंगलवार को घोषणा की, जो ‘माइग्रेटेड’ उद्यम पूंजी (वीसी) कोषों द्वारा समापन प्रावधानों के उल्लंघन के निपटान में सहायता करेगी।
‘माइग्रेटेड’ उद्यम पूंजी कोष वे पुराने कोष हैं जिन्होंने भारतीय नियामकीय ढांचे में बदलाव की वजह से अपने पुराने पंजीकरण से नए वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) नियमों के तहत अपना स्थानांतरण कर लिया है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक बयान में कहा कि यह योजना 19 जनवरी, 2026 को समाप्त होगी।
सेबी ने कहा कि उद्यम पूंजी कोष निपटान योजना, 2025 उन उद्यम पूंजी कोषों के लिए है जो अपनी तयशुदा समयसीमा पूरी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक पूरी तरह से बंद नहीं हो पाए हैं। इन कोषों के पास अब भी कुछ ऐसे निवेश हो सकते हैं जिन्हें बेचा नहीं गया है या नकदी में नहीं बदला नहीं गया है।
मई, 2012 में वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) विनियमों की अधिसूचना के बाद सेबी ने उद्यम पूंजी कोष विनियमों को निरस्त कर दिया था।
हालांकि, कुछ उद्यम पूंजी कोष (वीसीएफ) अपनी अवधि के दौरान निवेश का परिसमापन नहीं कर पाए और उन्होंने नकदी में न बदले जा सके निवेश को अपने पास बनाए रखा।
वीसीएफ को अपने निवेश का परिसमापन करने और योजनाओं का समापन करने के लिए एक वर्ष की अतिरिक्त अवधि प्रदान की गई है।
एक बार स्थानांतरित होने के बाद वीसीएफ अपने निवेशकों से अनुमोदन लेने के बाद विघटन अवधि में भी प्रवेश कर सकते हैं।
सेबी ने कहा कि इस तरह के स्थानांतरण के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 19 जुलाई, 2025 है।
इसमें आगे कहा गया, ‘‘स्थानांतरण की समयसीमा खत्म होने पर सेबी उन वीसीएफ के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकता है जिनकी योजनाओं की परिसमापन अवधि समाप्त हो गई है, लेकिन उनका समापन नहीं हुआ है।’’
सेबी के निदेशक मंडल ने पिछले महीने निपटान योजना से संबंधित एक प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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