नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) कोविड महामारी के बाद देश में घर बनाने के लिए जमीन की मांग बढ़ी है। इस मांग को पूरा करने के लिए पिछले साढ़े तीन साल में 2.44 लाख करोड़ रुपये के आवासीय भूखंड पेश किए गए हैं। प्रॉपइक्विटी की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
जमीन, मकान से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली कंपनी प्रॉपइक्विटी के अनुसार, जनवरी, 2022 से मई, 2025 के बीच बेंगलुरु और रायपुर समेत 10 महानगरों और मझोले (टियर-1 और टियर-2) शहरों में रियल एस्टेट कंपनियों ने लगभग 4.7 लाख आवासीय भूखंड पेश किए हैं।
ये 10 शहर हैं… हैदराबाद, इंदौर, बेंगलुरु, चेन्नई, नागपुर, जयपुर, कोयंबटूर, मैसूर, रायपुर और सूरत।
प्रॉपइक्विटी के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) समीर जसूजा ने मंगलवार को बयान में कहा, ‘‘2022 से 2025 (मई) के बीच 10 महानगरों और मझोले शहरों में पेश किए गए आवासीय भूखंड का अनुमानित मूल्य लगभग 2.44 लाख करोड़ रुपये है।’’
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में आवास के लिए जमीन की मांग बढ़ी है। इसका कारण अपार्टमेंट की तुलना में जमीन की कीमत बढ़ने की संभावना अधिक होती है। साथ इसे बेचना भी आसान होता है।
जसूजा ने कहा कि कई संभावित ग्राहक जमीन पसंद करते हैं क्योंकि वे अपने रहने की जगह को अपने हिसाब से बनाना पसंद करते हैं।
आंकड़ों के अनुसार, इन 10 शहरों में रिहायशी भूखंड की आपूर्ति 2024 में सालाना आधार पर 23 प्रतिशत घटकर 1,26,556 भूखंड रह गई, जो पिछले वर्ष 1,63,529 भूखंड थी।
प्रॉपइक्विटी ने कहा कि 2025 के पहले पांच महीनों के दौरान 45,591 आवासीय भूखंड पेश किए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कंपनियों के लिए, भूखंड जल्दी नकदी सृजित करते हैं। इसका कारण इनमें अपार्टमेंट की तुलना में बिक्री तेज होती है और शुरुआती निवेश कम होता है।’’
इस बारे में बेंगलुरु की रियल एस्टेट कंपनी संजीवनी ग्रुप के चेयरमैन और संस्थापक उमेशा गौड़ा एच.ए ने कहा, ‘‘घर के लिए जमीन की बढ़ती मांग, घर खरीदारों की प्रकृति से निकटता, निजता और अपने हिसाब से मकान बनाने की बढ़ती प्राथमिकता को दर्शाती है। इसके अलावा, उपनगरों के विकास और संपर्क बुनियादी ढांचे के मजबूत होने से घर खरीदारों के लिए विकल्प मिल गये हैं और वे इसे तरजीह देने लगे हैं।’’
भाषा रमण अजय
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