(फाइल फोटो सहित)
बेंगलुरु, 15 जुलाई (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने किसानों के पुरजोर विरोध के बाद बेंगलुरु में केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास देवनहल्ली में 1,777 एकड़ कृषि भूमि अधिग्रहण की अंतिम अधिसूचना वापस लेने की मंगलवार को घोषणा की।
सिद्धरमैया ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर प्रारंभिक और अंतिम अधिसूचनाएं पहले ही जारी कर दी गई हैं।
मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने 1,777 एकड़ ज़मीन अधिग्रहण की अधिसूचना पूरी तरह से रद्द कर दी है। हालांकि, हम उन भूखंडों को स्वीकार करेंगे, जो किसान औद्योगिक विकास के लिए स्वेच्छा से देने को तैयार हैं।’
यह निर्णय परियोजना के फायदे और नुकसान के विस्तृत मूल्यांकन के बाद लिया गया।
सिद्धरमैया ने कहा कि जिन मामलों में किसान अपनी ज़मीन देने के लिए आगे आते हैं, वहां जमीन अधिग्रहण नहीं रोका जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना है। यह ज़मीन अधिग्रहण इसी उद्देश्य से किया गया है और हम उचित मुआवज़ा देंगे।’
उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार विकसित भूमि का 50 प्रतिशत किसानों को वापस कर देगी। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम ऐसी किसी भी भूमि को छोड़ देंगे, जिसके मालिक उसे देने को तैयार नहीं हैं। वास्तव में, हम पूरी अधिसूचना ही वापस ले रहे हैं।’’
सिद्धरमैया ने कहा, ‘अगर किसान स्वेच्छा से अपनी ज़मीन देते हैं, तो उन्हें या तो ज़्यादा मुआवज़ा दिया जाएगा या विकसित ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा दिया जाएगा। जो ज़मीन नहीं दी जाएगी, वह कृषि योग्य ही रहेगी।’
सिद्धरमैया ने कहा कि उन्होंने किसानों, जनप्रतिनिधियों और प्रदर्शनकारियों को इस फैसले से अवगत करा दिया है, जिन्होंने इसका स्वागत किया है।
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला केवल देवनहल्ली पर लागू होगा, राज्य के अन्य हिस्सों पर नहीं।
कर्नाटक में अन्य जगहों पर भी उठ रही इसी तरह की मांगों के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा, ‘यह ज़मीन बेंगलुरु के पास है, जहां सक्रिय रूप से खेती होती है और यह कई किसानों की आजीविका का साधन है। इसलिए हमने अधिग्रहण रद्द करने का फैसला किया।’
उन्होंने कहा कि चूंकि यह ज़मीन केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास हरित क्षेत्र में स्थित है, इसलिए किसानों ने सरकार से इसे अधिगृहीत न करने का आग्रह किया था और इस योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था।
भाषा आशीष सुरेश
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