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Wednesday, July 16, 2025

तमिलनाडु के जेल अधिकारियों को दिव्यांग कैदियों की पहचान करने का निर्देश

Newsतमिलनाडु के जेल अधिकारियों को दिव्यांग कैदियों की पहचान करने का निर्देश

नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु के जेल अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे लाए जाने के समय दिव्यांग कैदियों की पहचान करें। शीर्ष अदालत ने साथ ही कहा कि सभी जेल में दिव्यांगों के अनुकूल बुनियादी ढांचे की व्यवस्था होनी चाहिए।

न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि हर कैदी को अपनी दिव्यांगता, यदि कोई हो तो, की घोषणा करने और अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के बारे में जानकारी देने का मौका दिया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा, “यह अदालत न्यायिक प्रणाली में हाशिये पर मौजूद सबसे कमजोर समूहों में से एक दिव्यांग व्यक्तियों की दुर्दशा पर गहरी चिंता व्यक्त करती है। उन्हें समाज में जिन सामाजिक और संरचनात्मक बाधाओं का सामना करना पड़ता है, वे जेल के माहौल में और भी बढ़ जाती हैं।”

आदेश में महिला कैदियों के विपरीत दिव्यांग या ट्रांसजेंडर बंदियों के लिए सम्मान, पहुंच और सुरक्षा की गारंटी देने वाले विशिष्ट कानूनी या नीतिगत ढांचे के अभाव की ओर इशारा किया गया है।

इसमें कहा गया है, “गिरफ्तारी से लेकर मुकदमे और कारावास तक, दिव्यांग व्यक्तियों को पुलिस और जेल कर्मियों में प्रशिक्षण और संवेदनशीलता की कमी के कारण प्रणालीगत असुविधाओं का सामना करना पड़ता है।”

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे कैदियों को जेल में बिताए जाने वाले जीवन के बारे में सभी नियम, विनियम और अन्य आवश्यक जानकारियां ब्रेल, बड़े प्रिंट, सांकेतिक भाषा या सरलीकृत भाषा जैसे सुलभ एवं समझने योग्य प्रारूपों में प्रदान की जानी चाहिए।

उसने कहा, “सभी जेल परिसरों में व्हीलचेयर-अनुकूल स्थान, दिव्यांग अनुकूल शौचालय, रैंप और संवेदी-सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित हो सके। सभी जेलों में फिजियोथेरेपी, मनोचिकित्सा और अन्य आवश्यक चिकित्सा सेवाओं के लिए समर्पित स्थान निर्धारित और स्थापित किए जाएंगे।”

शीर्ष अदालत ने ‘बेकर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’ से पीड़ित अधिवक्ता एल. मुरुगनन्थम की मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश जारी किए, जिसमें उन्हें पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।

मुरुगनन्थम को एक व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक शिकायत के मामले में जेल में डाल दिया गया था, जिसके साथ उनके परिवार का भूमि विवाद था।

न्यायालय ने तमिलनाडु की सभी जेल का राज्य स्तरीय ऑडिट छह महीने के भीतर पूरा करने का आदेश दिया। यह ऑडिट समाज कल्याण विभाग, दिव्यांगजन कल्याण विभाग के अधिकारियों और प्रमाणित विशेषज्ञों वाली एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाएगा।

भाषा पारुल प्रशांत

प्रशांत

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