नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा ने भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान ‘गगनयान’ की भारतीय महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने और उसके तुरंत बाद ‘भारत अंतरिक्ष स्टेशन’ के निर्माण के लिए मंच तैयार कर दिया है।
भारत की योजना 2027 में स्वदेश निर्मित रॉकेट और ‘क्रू कैप्सूल’ के माध्यम से मानव अंतरिक्ष उड़ान ‘गगनयान’ भेजने की है, जिसकी तैयारी उन्नत चरण में है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि शुक्ला का अंतरिक्ष प्रवास भारत के अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन ‘गगनयान’ की दिशा में एक और मील का पत्थर है।
गगनयान मिशन के जहां 2027 में प्रक्षेपित होने की उम्मीद है, वहीं भारत अंतरिक्ष स्टेशन का पहला मॉड्यूल 2028 में प्रक्षेपित होने की उम्मीद है तथा एक पूर्ण विकसित कक्षीय प्रयोगशाला 2035 तक आकार ले लेगी।
अशोका विश्वविद्यालय के खगोल वैज्ञानिक एवं कुलपति सोमक रायचौधरी ने कहा, ‘‘यह मिशन मानव अंतरिक्ष उड़ान में भारत की यात्रा में एक निर्णायक अध्याय है और यह न केवल एक कदम आगे है, बल्कि महत्वाकांक्षा को क्षमता में बदलने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।’’
उन्होंने कहा कि आईएसएस पर किए गए प्रयोगों ने भारत के वैज्ञानिक समुदाय के लिए अंतरिक्ष कृषि और पदार्थ विज्ञान से लेकर स्वास्थ्य तथा एआई तक के नए आयाम खोले हैं।
रायचौधरी ने कहा, ‘‘ये जानकारियां महत्वपूर्ण होंगी, क्योंकि हम 2027 में गगनयान, 2035 तक भारत अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक मानव चंद्र मिशन जैसे अभियानों की तैयारी कर रहे हैं।’’
‘एक्सिओम-4’ के चालक दल ने अपने प्रवास के दौरान 60 वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें से सात प्रयोग इसरो द्वारा भारतीय अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर डिजाइन किए गए थे।
रायचौधरी ने कहा, ‘‘इन अनुभवों से हमें यह पता चलेगा कि हम अंतरिक्ष यात्रियों को कैसे प्रशिक्षित करते हैं, प्रयोगों की रूपरेखा कैसे तैयार करते हैं, तथा दीर्घकालिक, स्वतंत्र अभियानों के लिए उपयुक्त जीवनरक्षक प्रौद्योगिकियों का विकास कैसे करते हैं।’’
इसरो ने कहा कि ‘एक्स-04 मिशन’ आगामी गगनयान मिशन के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान करेगा और अंतरराष्ट्रीय चालक दल एकीकरण, चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक तैयारी, वास्तविक समय स्वास्थ्य टेलीमेट्री, प्रयोग निष्पादन और चालक दल-जमीनी समन्वय की बारीकियों में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करेगा।
इसने कहा कि ये जानकारियां भारत के पहले स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए मिशन योजना, सुरक्षा सत्यापन और अंतरिक्ष यात्री की तत्परता को सीधे प्रभावित करेंगी।
भारतीय अंतरिक्ष संघ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ए के भट्ट ने कहा कि यह उपलब्धि भारत की भविष्य की मानवयुक्त अंतरिक्ष यात्राओं के लिए एक कदम है, जिसमें गगनयान मिशन और 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यान से किसी भारतीय को चंद्रमा पर उतारने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य शामिल है।
भट्ट ने कहा, ‘‘इससे न केवल इसरो को सहायता मिलेगी, बल्कि वैश्विक और भारतीय निजी अंतरिक्ष उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। यह सफलता बाह्य अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’
भाषा नेत्रपाल प्रशांत
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