नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) भारत एक अगस्त से लागू होने वाले अमेरिकी शुल्क के पूरे प्रभाव का आकलन करने के बाद ही उससे निपटने की योजना पर विचार कर सकता है। तब तक सरकार देखो और इंतजार करो की नीति पर चल रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को यह बात कही।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर पांचवें दौर की वार्ता के लिए भारतीय दल अमेरिका में है।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के शुल्क के प्रभाव से निपटने के लिए कोई वैकल्पिक योजना तैयार कर रहा है, अधिकारी ने कहा, ‘‘अमेरिकी शुल्क के पूर्ण प्रभाव की जानकारी होने के बाद ही कोई योजना तैयार की जानी चाहिए। हम आज एक अगस्त को लागू होने वाले शुल्क के प्रभाव का अनुमान लगाने की स्थिति में नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगभग 25 देशों के शुल्क आंकड़े मिले हैं… अमेरिका ने घोषणा की है कि वे दो सप्ताह में व्यापार समझौते करने जा रहे हैं। इन समझौतों का क्या परिणाम होगा और एक अगस्त से लागू होने वाले शुल्क का अंतिम दायरा क्या होगा, यह समझे बिना, किसी आकस्मिक योजना को बनाना बहुत मुश्किल होगा। इसलिए हमें देखो और इंतजार करो की नीति अपनाने की आवश्यकता है।’’
भारत और अमेरिका ने फरवरी में घोषणा की थी कि दोनों देश एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करेंगे। दोनों ने समझौते के पहले चरण को इस साल सितंबर-अक्टूबर तक पूरा करने की समयसीमा तय की है।
दोनों पक्षों ने मार्च में समझौते के नियम एवं शर्तों को अंतिम रूप दिया। उसके बाद, अप्रैल और जून में दो दौर की बातचीत हो चुकी है।
दोनों देशों के वार्ताकारों की जुलाई की शुरुआत में भी बैठक हुई। पांचवें दौर की वार्ता सोमवार को शुरू हुई।
भारत के मुख्य वार्ताकार, विशेष सचिव राजेश अग्रवाल बुधवार को दल से जुड़ेंगे। बातचीत बृहस्पतिवार तक जारी रहने की संभावना है।
भाषा रमण अजय
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