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चंडीगढ़, 15 जुलाई (भाषा) पंजाब पुलिस दुनिया के सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक फौजा सिंह को टक्कर मारने वाले वाहन चालक की तलाश कर रही है।
फौजा सिंह जालंधर स्थित अपने पैतृक गांव ब्यास पिंड में सोमवार शाम टहलने निकले थे, तभी एक अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई थी। वह 114 वर्ष के थे।
फौजा सिंह ने 89 वर्ष की उम्र में मैराथन दौड़नी शुरू की और फिर दुनिया भर में अपने जोश एवं जज्बे का डंका बजाया।
कुछ ग्रामीणों ने मंगलवार को कहा कि संभवत: एक एसयूवी ने फौजा सिंह को टक्कर मारी। उन्होंने दावा किया कि फौजा सिंह टक्कर लगने के बाद पांच से सात फुट तक हवा में उछल गए थे।
मैराथन धावक की मृत्यु पर विभिन्न दलों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फौजा सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वह एक असाधारण व्यक्ति थे, जिन्होंने अपने विशिष्ट व्यक्तित्व और ‘फिटनेस’ से भारत के युवाओं को प्रेरित किया।
मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि सिंह दृढ़ संकल्प वाले असाधारण धावक थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘फौजा सिंह असाधारण व्यक्ति थे, जिन्होंने अपने विशिष्ट व्यक्तित्व से और ‘फिटनेस’ के विषय पर भारत के युवाओं को प्रेरित किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उनकी मृत्यु से बहुत दुख हुआ। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और दुनिया भर में उनके अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं।’’
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी कहा कि फौजा सिंह ने लंबी दूरी की अपनी दौड़ से दुनिया भर के सिख समुदाय को गौरवान्वित किया।
मान ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘प्रसिद्ध पंजाबी सिख धावक फौजा सिंह जी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। दुनिया के सबसे बुजुर्ग धावक फौजा सिंह जी ने अपनी लंबी दूरी की दौड़ से दुनिया में सिख समुदाय को गौरवान्वित किया। उनकी जगह हमेशा हमारे दिलों में रहेगी। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।’’
जालंधर के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सिंह को टक्कर मारने के बाद फरार हुए चालक का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।
उनके परिवार के एक सदस्य ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सिंह का अंतिम संस्कार संभवत: कुछ दिन बाद किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे कई रिश्तेदार ब्रिटेन और कनाडा सहित विदेश में रहते हैं इसलिए उनके यहां पहुंचने में कुछ समय लग सकता है।’’
वर्ष 1911 में एक किसान परिवार में जन्मे सिंह चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। वह 100 वर्ष की आयु में मैराथन पूरी करने वाले पहले व्यक्ति बने और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हुए उन्होंने कई रिकॉर्ड बनाए।
सिंह ने वृद्धावस्था में मैराथन दौड़ना शुरू किया और अपनी सहनशीलता व एथलेटिक क्षमता के कारण उन्हें ‘टर्बन्ड टॉरनेडो’ उपनाम मिला।
वह 1990 के दशक में इंग्लैंड चले गए थे और हाल के वर्षों में पंजाब स्थित अपने पैतृक गांव में रहने के लिए लौट आए थे। वह 2012 के लंदन ओलंपिक में मशाल वाहक थे।
पिछले साल, सिंह पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के साथ नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए आयोजित एक ‘वॉकथॉन’ में शामिल हुए थे।
पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी फौजा सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया।
बाजवा ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘दुनिया के सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक सरदार फौजा सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ। वह 114 वर्ष की आयु में भी दृढ़ता और आशा की प्रेरणा बने रहे। पंजाब और दुनिया उनके अद्भुत जीवन को सलाम करती है।’’
कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हमारे दिग्गज फौजा सिंह जी के असामयिक निधन पर दुखी हूं। वह 100 साल की उम्र के बाद भी मैराथन दौड़कर धैर्य, दृढ़ संकल्प और दृढ़ता की मिसाल थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चौंकाने वाली बात यह है कि वह एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गए। हो सकता है कि वह और कई साल जीते। उम्मीद है कि अपराधी की पहचान हो जाएगी और उसे सजा दी जाएगी।’’
जालंधर छावनी से कांग्रेस विधायक और पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान परगट सिंह ने कहा, ‘‘114 वर्ष की आयु में भी वह अपनी शक्ति और प्रतिबद्धता से कई पीढ़ियों को प्रेरित करते रहे। उनकी विरासत हमेशा उन लोगों के दिलों में ज़िंदा रहेगी, जो एक स्वस्थ और नशा मुक्त पंजाब के लिए लड़ रहे हैं।’’
पंजाब विधानसभा ने भी फौजा सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र के समापन के दिन संसदीय कार्य मंत्री रवजोत सिंह ने सदन में सिंह को श्रद्धांजलि देने का प्रस्ताव रखा।
विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने मैराथन धावक सिंह (114) के निधन पर शोक व्यक्त किया और उनकी उपलब्धियों को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अदम्य साहस से लोगों को प्रेरित किया।
फौजा सिंह के गांव के एक निवासी महिंदर सिंह ने बताया कि जिस जगह पर दुर्घटना हुई, वह फौजा सिंह के घर से लगभग 400 मीटर दूर है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक राजमार्ग है… उन्हें पास के एक अस्पताल ले जाया गया लेकिन गंभीर रूप से घायल होने के कारण उनकी मौत हो गई।’’
महिंदर ने कहा, ‘‘वह बहुत अच्छे इंसान थे। सभी उनका बहुत सम्मान करते थे।’’
एक अन्य स्थानीय निवासी गुरप्रीत सिंह ने बताया कि वाहन द्वारा फौजा सिंह को टक्कर मारने के बाद, उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया।
गुरप्रीत ने कहा, ‘‘हम उन्हें अस्पताल ले गए… जिस वाहन ने उन्हें टक्कर मारी वह संभवत: एक एसयूवी है। उनके सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में चोटें आई थीं। उनके निधन से पूरा गांव शोक में डूब गया है। उनके कारण हमारे गांव को वैश्विक पहचान मिली।’’
भाषा
सिम्मी दिलीप
दिलीप