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Wednesday, July 16, 2025

तृणमूल ने दिल्ली के जय हिंद कैंप में स्थानीय लोगों के ‘अमानवीय हालात’ के लिए भाजपा की आलोचना की

Newsतृणमूल ने दिल्ली के जय हिंद कैंप में स्थानीय लोगों के ‘अमानवीय हालात’ के लिए भाजपा की आलोचना की

नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने मंगलवार को दिल्ली के जय हिंद कैंप में अपना 24 घंटे का धरना समाप्त कर दिया। उन्होंने बिजली काट दिए जाने के कारण स्थानीय लोगों के सामने आ रही अमानवीय जीवन स्थितियों पर चिंता जताई।

बस्ती में बड़ी संख्या में बांग्ला भाषी लोग करते हैं।

राज्यसभा में तृणमूल की उपनेता सागरिका घोष ने धरना-प्रदर्शन के समापन पर कहा कि बांग्ला-भाषी होना जय हिंद कैंप के निवासियों का एकमात्र अपराध है।

घोष ने कहा, ‘‘यहां लोग अमानवीय परिस्थितियों में जी रहे हैं। बिजली काट दी गई है, पानी की समस्या है, सड़कें कीचड़ से भरी हैं और बारिश में घरों में पानी भर जाता है…ऐसी ही अमानवीय स्थिति में भारत के इन नागरिकों को जीने के लिए मजबूर किया जा रहा है। उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है?’’

उन्होंने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बांग्ला-भाषी प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ ‘‘अभियान’’ शुरू करने का आरोप लगाया।

घोष ने कहा, ‘‘जो कोई भी बांग्ला भाषा बोलता है वह किसी न किसी तरह बांग्लादेशी या रोहिंग्या है… विदेशी या अवैध प्रवासी। सच तो यह है कि वे सभी भारत के नागरिक हैं। हम पिछले दो दिनों से यहां हैं, हमने उनके कागज़ात देखे हैं, उनके आधार कार्ड देखे हैं, उनके सारे दस्तावेज़ देखे हैं।’’

दिल्ली के वसंत कुंज और मसूदपुर गांव के पॉश इलाकों के बीच स्थित जय हिंद कैंप एक अनौपचारिक बस्ती है, जहां रहने वाले लगभग 5,000 निवासियों में से अधिकांश का दावा है कि वे पश्चिम बंगाल के कूचबिहार से हैं। अधिकांश स्थानीय लोग दिहाड़ी मजदूर, घरेलू कामगार, कबाड़ विक्रेता और सफाई कर्मचारी हैं।

बस्ती तक जाने वाली सड़क कीचड़ और सीवेज से भरी है और इस पर कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। अतिक्रमण के मामले में एक अदालत द्वारा आठ जुलाई को दिए गए आदेश के अनुपालन में कैंप की बिजली काट दी गई थी।

स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि वे रात में सो नहीं पाते हैं।

स्थानीय निवासी नबी हुसैन ने कहा, ‘‘हमारे पास छोटे-छोटे कमरे हैं, जहां हम खाना बनाते हैं, अपना सामान रखते हैं और रहते हैं। बिजली न होने के कारण कुछ भी करना बहुत मुश्किल है, यहां तक कि सोना भी असंभव है।’’

कॉलोनी की एक अन्य निवासी रूमा ने बताया कि सबसे ज्यादा बच्चों को परेशानी हो रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘बच्चे रात में सो नहीं पा रहे हैं। वे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। हमें कुछ नहीं बताया गया। हम काम से वापस आए तो देखा कि बिजली कटी हुई है।’’

स्थानीय लोगों ने दावा किया कि बांग्ला-भाषी होने के कारण उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस ने कुछ महीने पहले सत्यापन अभियान चलाया था, जिसमें इलाके में एक भी ‘‘बांग्लादेशी या रोहिंग्या’’ नहीं मिला था।

इस बीच घोष ने भाजपा पर बंगाल के लोगों को कथित तौर पर निशाना बनाने का आरोप लगाया और कहा कि पार्टी राज्य में चुनाव जीतने में विफल रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा बंगाल को बर्दाश्त नहीं कर सकती। भाजपा को यह पच नहीं रहा कि वह बंगाल में दो चुनाव हार चुकी है। इसलिए, वह अपना गुस्सा और बदला इन असहाय, लाचार और कूचबिहार के निर्दोष प्रवासी मजदूरों पर निकाल रही है।’’

भाषा

प्रीति प्रशांत

प्रशांत

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