मुंबई, 15 जुलाई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित एक फिल्म के निर्माताओं द्वारा दायर उस याचिका पर मंगलवार को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से जवाब मांगा जिसमें फिल्म को प्रमाण पत्र जारी करने में देरी किए जाने का आरोप लगाया है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने मौखिक टिप्पणी की कि सीबीएफसी के लिए कानून के तहत निर्धारित समय-सीमा के भीतर प्रमाण पत्र जारी करना अनिवार्य है और इसलिए वह इस दायित्व से पीछे नहीं हट सकता।
सम्राट सिनेमैटिक्स ने अदालत में दायर याचिका में अपनी फिल्म ‘अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ और उसके टीजर, ट्रेलर एवं प्रचार गीत के प्रमाणन आवेदनों पर कार्रवाई में सीबीएफसी की ‘‘मनमानी, अनुचित और स्पष्ट कराए बताए बिना की जा रही’’ देरी पर सवाल उठाया है।
यह फिल्म ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ नामक किताब से प्रेरित है। ऐसा बताया जाता है कि यह पुस्तक योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित है। यह फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज के लिए एक अगस्त की तिथि निर्धारित की गई थी।
यह याचिका अदालत की पीठ के समक्ष मंगलवार को सुनवाई के लिए आई जिसके बाद सीबीएफसी के एक अधिकारी ने वकील नियुक्त करने के लिए समय मांगा।
अदालत ने इस पर सहमति जताते हुए सेंसर बोर्ड को नोटिस जारी किया। मामले में आगे की सुनवाई 17 जुलाई को होगी।
निर्माताओं के वकील रवि कदम और अधिवक्ताओं सत्या आनंद एवं निखिल अराधे ने कहा कि सीबीएफसी ने अभी तक फिल्म, टीजर और प्रचार गीत को प्रदर्शित किए जाने का समय भी निर्धारित नहीं की है।
भाषा सिम्मी माधव
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