कोलकाता, 15 जुलाई (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने पश्चिम बंगाल के नौ प्रवासी श्रमिकों को हिरासत से रिहा करने के बाद उन्हें राज्य छोड़ने के लिए ‘मजबूर’ करके संविधान का उल्लंघन किया।
ये प्रवासी श्रमिक पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में स्थित महुआ के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र कृष्णानगर के निवासी बताए जा रहे हैं। इन्हें छत्तीसगढ़ के कोंडागांव से गिरफ्तार किया गया था।
महुआ ने ‘एक्स’ पर जारी एक वीडियो संदेश में आरोप लगाया कि हिरासत से रिहा किए जाने के बावजूद श्रमिकों को बसों में ‘जबरन’ चढ़ाया गया और पश्चिम बंगाल लौटने के लिए ‘मजबूर’ किया गया।
उन्होंने कथित घटना को भारतीय संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का ‘घोर उल्लंघन’ करार दिया, जो नागरिकों की आवाजाही की स्वतंत्रता और किसी भी पेशे को अपनाने के अधिकार की रक्षा करता है।
टीएमसी सांसद ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री कार्यालय, कोंडागांव जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ पुलिस कृपया ध्यान दें, आप मेरे श्रमिकों को वापस भेजने के लिए उन्हें जबरन बसों में धकेल रहे हैं! अनुच्छेद 19(1) (डी) और (जी) में प्रदत्त मौलिक अधिकार-लोगों की स्वतंत्र आवाजाही को रोकने का आपको कोई अधिकार नहीं है। (ऐसा) बंद करें।’
महुआ ने दावा किया कि नौ प्रवासी श्रमिकों की प्रारंभिक गिरफ्तारी ‘झूठे’ आरोपों पर आधारित थी। उन्होंने संबंधित कार्रवाई को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित छत्तीसगढ़ में सरकार और पुलिस की ओर से रची गई ‘अपहरण’ की साजिश करार दिया।
टीएमसी नेता ने कहा, ‘मैं छत्तीसगढ़ के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) से पूछना चाहती हूं- क्या आपको पता है कि आपकी पुलिस क्या कर रही है? वे लोग अपराधी नहीं हैं; वे वहां काम करने गए थे। आप उन्हें जबरदस्ती बस में नहीं बैठा सकते और इस तरह वापस नहीं भेज सकते। उन्हें देश के किसी भी हिस्से में रहने और काम करने का अधिकार है।’
उन्होंने कहा, ‘वह अधिकार छीना जा रहा है। मुझे उम्मीद है कि आपको (डीजीपी को) इसका एहसास होगा, क्योंकि अगर आपको (एहसास) नहीं हुआ, तो मैं आपको अदालत में ले जाऊंगी।’
महुआ ने दावा किया कि उन्हें जानकारी मिली है कि सभी नौ श्रमिकों को रिहा कर दिया गया, लेकिन बाद में उन्हें छत्तीसगढ़ छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।
यह घटनाक्रम पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के इन आरोपों के बीच सामने आया है कि राज्य के प्रवासी श्रमिकों, खासकर बांग्ला भाषी व्यक्तियों को भाजपा शासित राज्यों में निशाना बनाया जा रहा है और परेशान किया जा रहा है।
ऐसे दावे किए गए हैं कि वैध दस्तावेजों वाले लोगों को भी हिरासत में लिया जा रहा है और उन्हें ‘अवैध बांग्लादेशी’ करार देने का प्रयास किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही अन्य राज्यों में बंगाली प्रवासी श्रमिकों के साथ कथित दुर्व्यवहार पर चिंता जता चुकी हैं।
हालांकि, भाजपा ने प्रवासी श्रमिकों की पहचान को लेकर कथित तौर पर भ्रम पैदा करने के लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि बांग्लादेश से बड़ी संख्या में अवैध प्रवासी फर्जी भारतीय दस्तावेज हासिल करने में कामयाब हो गए हैं और देशभर में खुलेआम घूम रहे हैं।
भाषा पारुल सुरेश
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