26.6 C
Jaipur
Wednesday, July 16, 2025

न्यायालय ने विवाह के पूरी तरह टूटने के आधार पर दंपति को तलाक की अनुमति दी

Newsन्यायालय ने विवाह के पूरी तरह टूटने के आधार पर दंपति को तलाक की अनुमति दी

नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अलग रह रहे एक दंपति को विवाह के पूरी तरह टूटने के आधार पर तलाक की अनुमति दे दी।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि यह निर्णय पक्षकारों और उनके बच्चे के ‘‘सर्वोत्तम हित’’ में है, ताकि वे स्वतंत्र और शांतिपूर्ण जीवन जी सकें, जो ‘‘लंबी और निरर्थक कानूनी लड़ाई की छाया से मुक्त’’ हो।

शीर्ष अदालत ने कहा कि विवाह संस्था ‘‘गरिमा, आपसी सम्मान और साझा साहचर्य’’ पर आधारित है तथा जब ये आधारभूत पहलू पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं, तो जोड़े को कानूनी रूप से बाध्य रखने से कोई लाभकारी उद्देश्य पूरा नहीं होता।

फैसले में कहा गया, ‘‘पक्षों के बीच विवाह विच्छेद हो गया है और इस न्यायालय द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए उनके पक्ष में तलाक का आदेश दिया जाता है।’’

व्यक्ति को महिला और बच्चे को 15,000 रुपये का संयुक्त मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया।

पीठ ने कहा, ‘‘यह बात दिन की तरह स्पष्ट है कि इस मामले में विवाह जारी रहने से पक्षकारों के बीच दुश्मनी और मुकदमेबाजी को बढ़ावा मिलेगा, जो कानून द्वारा परिकल्पित वैवाहिक सद्भाव के लोकाचार के विपरीत है।’’

रिकॉर्ड में यह बात सामने आई कि महिला द्वारा दायर क्रूरता के मामले में व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों को बरी कर दिया गया था।

अदालत ने कहा कि अब यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह व्यक्ति उस महिला के साथ वैवाहिक बंधन में रहेगा, जिसने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ ‘‘झूठा मामला’’ दायर किया और लड़ा।

यह फैसला तलाक देने से इनकार के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ व्यक्ति की अपील पर आया।

व्यक्ति ने क्रूरता के आधार पर पारिवारिक न्यायालय में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(ए) के तहत तलाक के लिए आवेदन दायर किया था।

आरोप था कि महिला, व्यक्ति की बीमार माँ की संपत्ति हड़पने के इरादे से उसे प्रताड़ित करती थी और मारपीट करती थी। महिला ने आरोपों का खंडन किया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों ने अपनी युवावस्था के बेहतरीन वर्ष ‘‘वैवाहिक कलह में उलझकर’’ बिताए, जो 15 वर्षों से अधिक समय तक चला।

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles