नयी दिल्ली, 15 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को हत्या के एक मामले में मौत की सजा पाए एक व्यक्ति को बरी कर दिया। इस मामले में फॉरेंसिक साक्ष्यों में खामियों को रेखांकित किया गया और डीएनए नमूनों के प्रबंधन पर देशव्यापी निर्देश जारी किए गए।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने निर्देश दिया कि अब से फॉरेंसिक साक्ष्य वाले ऐसे सभी मामलों में उचित देखभाल के बाद डीएनए नमूने एकत्र किए जाने चाहिए और त्वरित एवं उचित पैकेजिंग सहित सभी आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए उनका दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए।
इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने जांच को ‘दोषपूर्ण’ बताते हुए आरोपी को राहत प्रदान की और मामले में एकत्र किए गए डीएनए साक्ष्यों में कमियों को रेखांकित किया।
पीठ मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा मार्च, 2019 में पारित एक आदेश के खिलाफ दोषी की अपील पर सुनवाई कर रही थी।
उच्च न्यायालय ने हत्या और बलात्कार के मामले में मृत्युदंड की पुष्टि की थी। इस मामले में दोषी को 28 मई, 2011 को गिरफ्तार किया गया था।
आदेश में मामले के जांच अधिकारी को डीएनए साक्ष्य को संबंधित पुलिस थाने या अस्पताल तक पहुंचाने तथा यह सुनिश्चित करने की बात कही कि नमूने एकत्र होने के 48 घंटे के भीतर निर्दिष्ट फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला तक पहुंच जाएं।
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संतोष प्रशांत
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