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तियानजिन, 15 जुलाई (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई को उचित ठहराते हुए मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में कहा कि समूह को आतंकवाद और चरमपंथ से निपटने के अपने स्थापना उद्देश्य पर कायम रहना चाहिए और इन चुनौतियों से निपटने में कोई समझौता नहीं करने वाला रुख अपनाना चाहिए।
पाकिस्तान, चीन और अन्य एससीओ सदस्य देशों के अपने समकक्षों की उपस्थिति में जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमला जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और धार्मिक विभाजन पैदा करने की साजिश के तहत किया गया था। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद का सामना करने के लिए अपनी प्रतिक्रिया में दृढ़ रहेगा।
चीन के शहर तियानजिन में एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत नए विचारों और प्रस्तावों पर सकारात्मक रुख अपनाता रहेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह का सहयोग ‘‘परस्पर सम्मान’’, ‘‘संप्रभु समानता’’ और सदस्य देशों की ‘‘क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता’’ के अनुरूप होना चाहिए।
यह टिप्पणी चीन की वृहद कनेक्टिविटी परियोजना ‘‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’’ (बीआरआई) की बढ़ती वैश्विक आलोचना की पृष्ठभूमि में आई है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान चीन द्वारा पाकिस्तान को सहयोग दिए जाने तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने के प्रयासों में चीन द्वारा बाधा डाले जाने के मामलों को लेकर भारत में चिंता के बीच, विदेश मंत्री ने एससीओ से आतंकवाद से निपटने में ‘कोई समझौता नहीं करने वाला’ रुख अपनाने का आह्वान किया।
जयशंकर ने ‘संघर्ष, प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ आर्थिक अस्थिरता पर भी चिंता जताई और वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करने तथा दीर्घकालिक चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
विदेश मंत्री के संबोधन का मुख्य केंद्रबिंदु आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने का उनका आह्वान था।
जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हमले की निंदा की है और इस निंदनीय कृत्य के दोषियों, इसके पीछे जिम्मेदार लोगों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को पकड़कर उन्हें न्याय के कठघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने ‘बिल्कुल यही’ किया और वह ऐसा करता रहेगा।
जयशंकर ने कहा, ‘एससीओ की स्थापना जिन तीन बुराइयों से निपटने के लिए की गई थी, वे हैं आतंकवाद, अलगाववाद और चरमपंथ। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ये अक्सर एक साथ घटित होती हैं। हाल में, भारत में हमने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में इसका एक ज्वलंत उदाहरण देखा।’
उन्होंने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, जिसके हममें से कुछ वर्तमान में सदस्य हैं, ने एक बयान जारी कर इसकी कड़े शब्दों में निंदा की और ‘आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, इसके पीछे जिम्मेदार लोगों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने तथा उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया है।’
उन्होंने कहा, ‘हमने तब से ठीक यही किया है और आगे भी करते रहेंगे। यह ज़रूरी है कि एससीओ अपनी स्थापना उद्देश्यों के प्रति समर्पित रहे और इस चुनौती पर अडिग रुख अपनाए।’
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान के नियंत्रण वाले इलाकों में आतंकी ढांचों को निशाना बनाया गया।
विदेश मंत्री ने एससीओ में स्टार्टअप और नवाचार से लेकर पारंपरिक चिकित्सा और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे तक, विभिन्न क्षेत्रों में भारत की पहल का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हम उन नए विचारों और प्रस्तावों पर सकारात्मक रूप से विचार करना जारी रखेंगे, जो वास्तव में हमारे सामूहिक हित में हों।’
विदेश मंत्री ने समूह से अफ़ग़ानिस्तान को विकास सहायता बढ़ाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘अफ़ग़ानिस्तान लंबे समय से एससीओ के एजेंडे में रहा है। क्षेत्रीय स्थिरता की ज़रूरतें अफ़ग़ान लोगों की भलाई के लिए हमारी दीर्घकालिक चिंता से मज़बूत होती हैं।’
जयशंकर ने एससीओ सदस्य देशों के बीच पारगमन सुविधाओं के साथ-साथ संपर्क में सुधार का भी आह्वान किया।
भाषा आशीष दिलीप
दिलीप