जम्मू, 16 जुलाई (भाषा) जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने फर्जी बंदूक लाइसेंस मामले की जांच के संबंध में अतिरिक्त प्राथमिकी रद्द करने के अनुरोध संबंधी याचिकाओं को खारिज कर दिया और राजौरी जिले में एक दशक पहले दर्ज दो मामलों की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने का आदेश दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह आदेश सरकार को सभी प्राथमिकियों की जांच किसी विशेष जांच एजेंसी जैसे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने से नहीं रोकेगा।
जम्मू के जानीपुर पुलिस थाने में सात फरवरी 2011 को तब एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी जब 12 बोर की बंदूकें ले जा रहे दो व्यक्तियों को पकड़ा गया और उनके हथियार लाइसेंस में कुपवाड़ा, कठुआ और बुधल के पते पाए गए थे। ये लाइसेंस उप-विभागीय मजिस्ट्रेट, मेंढर (पुंछ) द्वारा जारी किए गए थे।
एक एसआईटी गठित की गई जिसने पाया कि राजौरी के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट और मेंढर के एसडीएम के कार्यालय में कुछ फर्जी बंदूक लाइसेंस तैयार किए गए थे।
इसके बाद 216 बंदूक लाइसेंसों के संबंध में एक दस्तावेज राजौरी पुलिस थाने को भेजा गया, तथा 179 बंदूक लाइसेंसों के संबंध में एक अन्य दस्तावेज मेंढर पुलिस थाने को भेजा गया, जिसके परिणामस्वरूप 2011 में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गईं। इसके बाद 2012 और 2015 में राजौरी जिले के कंडी और थानामंडी में दो और प्राथमिकी दर्ज की गईं।
कुछ सरकारी अधिकारियों सहित आरोपियों द्वारा विभिन्न याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें चारों प्राथमिकियों को रद्द करने का अनुरोध इस आधार पर किया गया है कि जानीपुर पुलिस थाने में इसी घटना के संबंध में पहले ही प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है।
अतिरिक्त प्राथमिकियों को रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति राजेश ओसवाल ने 11 जुलाई को कहा कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है। उन्होंने वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता मोनिका कोहली के तर्क से सहमति जताई, जिन्होंने याचिका का कड़ा विरोध किया था।
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि थानामंडी और कंडी पुलिस थानों में दर्ज प्राथमिकी की जांच सरकार द्वारा पहले से गठित एसआईटी द्वारा की जानी आवश्यक है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ तदनुसार जम्मू क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक को दोनों प्राथमिकियों की जांच उसी एसआईटी को हस्तांतरित करने का निर्देश दिया जाता है, जिसका गठन जानीपुर पुलिस थाने में दर्ज पहले के मामले की जांच के लिए किया गया था।’’
भाषा शोभना मनीषा
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