कोलकाता, 16 जुलाई (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों में बांग्ला भाषी लोगों को कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने के विरोध में बुधवार दोपहर कोलकाता की सड़कों पर प्रदर्शन किया।
मध्य कोलकाता के कॉलेज स्क्वायर से दोपहर लगभग पौने दो बजे शुरू हुए मार्च में बनर्जी ने हजारों लोगों का नेतृत्व किया और इस दौरान तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए।
इस मार्च का समापन धर्मतला के ‘डोरीना क्रॉसिंग’ पर होगा।
लगभग तीन किलोमीटर लंबे मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है, सड़क किनारे फुटपाथ की तरफ और आसपास की इमारतों के बाहर अवरोधक लगाकर लगभग 1,500 पुलिसकर्मी मोर्चा संभाले हुए हैं।
मार्च के कारण शहर के मध्य हिस्सों में कई मुख्य सड़कों पर मार्ग परिवर्तन किया गया है।
राज्यभर के जिला मुख्यालयों में भी तृणमूल द्वारा इसी तरह के प्रदर्शन आयोजित किए गए।
ये विरोध प्रदर्शन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राज्य के निर्धारित दौरे से एक दिन पहले हो रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम समय बचा है और ऐसे में तृणमूल कांग्रेस ने ऐसे मुद्दों पर अपना विरोध तेज कर दिया है।
उसका आरोप है कि बांग्ला भाषी लोगों को एक सुनियोजित ढंग से निशाना बनाया जा रहा है और उनके साथ भाषाई भेदभाव किया जा रहा है, गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया जा रहा है और उन्हें ‘‘अवैध प्रवासी’’ करार देने की साजिश की जा रही है।
तृणमूल कांग्रेस अमूमन 21 जुलाई को हर साल आयोजित की जाने वाली अपनी शहीद दिवस रैली से पहले बड़े कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखती है। लेकिन ओडिशा में प्रवासी कामगारों की हिरासत, दिल्ली में अतिक्रमण रोधी अभियान और असम में एक विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा कूच बिहार के एक किसान को नोटिस जारी करने जैसी हालिया घटनाओं ने पार्टी को अपना रुख बदलने पर मजबूर कर दिया है।
इन मुद्दों को लेकर हो रहे प्रदर्शन यह भी दिखाते हैं कि अगले साल के मध्य में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए तृणमूल का चुनावी अभियान किस दिशा में जा रहा है।
बंगाली गौरव के ममता बनर्जी के नारे की प्रतिक्रिया में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि ‘‘बंगाली अस्मिता’’ की पूरी कवायद ‘‘बांग्ला भाषी रोहिंग्याओं और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों’’ की मौजूदगी को छुपाने के लिए की जा रही है।
अधिकारी ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए सवाल उठाया कि उन्होंने राज्य में संस्थागत भ्रष्टाचार के कारण अपनी नौकरियां गंवाने वाले हजारों बांग्ला भाषी शिक्षकों की पीड़ा पर ‘‘कान क्यो बंद कर लिये हैं।’’
राज्य में शीर्ष प्रशासनिक और पुलिस पदों पर ममता बनर्जी की नियुक्तियों का जिक्र करते हुए, अधिकारी ने पूछा, ‘‘दो बंगाली अधिकारियों अत्री भट्टाचार्य और सुब्रत गुप्ता को राज्य के मुख्य सचिव का पद देने से इनकार क्यों किया गया? और मनोज पंत को यह पद क्यों दिया गया, जबकि पंत इन दोनों नौकरशाहों से कनिष्ठ थे?’’
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस)के सबसे वरिष्ठ अधिकारी संजय मुखोपाध्याय को डीजीपी के पद पर क्यों नियुक्त नहीं किया गया जबकि बाहरी राज्य से कनिष्ठ राजीव कुमार को तैनात किया गया ?’’
विरोध रैली में हिस्सा लेने वाले कोलकाता के महापौर फिरहाद हकीम ने कहा कि वह इन आरोपों को ज्यादा तवज्जों नहीं देना चाहते।
उन्होंने कहा, ‘‘अधिकारी दिल्ली में अपने आकाओं को खुश करने के लिए ऐसी बातें कह रहे हैं। उनकी यह चाल यहां काम नहीं करेगी।’’
भाषा खारी नरेश
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