नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) दुर्लभ खनिज तत्व (आरईई) की समस्या के समय पर समाधान और नए मॉडल की पेशकशों के साथ वित्त वर्ष 2027-28 तक कुल कार बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) की हिस्सेदारी बढ़कर सात प्रतिशत से अधिक हो जाएगी। रेटिंग एजेंसी केयरएज एडवाइजरी की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
यह वृद्धि देश में चार्जिंग बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सरकार के प्रयासों पर भी निर्भर करेगी।
भारत के इलेक्ट्रिक कार परिवेश में पिछले तीन साल में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
केयरएज एडवाइजरी एंड रिसर्च की वरिष्ठ निदेशक एवं प्रमुख तन्वी शाह ने कहा, “भारत में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी 2027-28 तक सात प्रतिशत को पार कर जाने की संभावना है, बशर्ते दुर्लभ खनिज संबंधी व्यवधान का समय पर समाधान किया जाए। मॉडल पेशकश की एक मज़बूत शृंखला, ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे का विस्तार और पीएलआई (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन) योजना के तहत बैटरी स्थानीयकरण के साथ, देश ईवी स्वीकार्यता में तेज़ी लाने को लेकर अच्छी स्थिति में है।”
कुल ईवी बिक्री में चार पहिया वाहनों की हिस्सेदारी फिलहाल कम है लेकिन इसमें दोपहिया और तिपहिया वाहनों का दबदबा है। हालांकि, चार-पहिया ईवी खंड अब सार्वजनिक नीति और निजी क्षेत्र की प्रतिबद्धता, दोनों के समर्थन से उच्च वृद्धि पथ पर उतर रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चार्जिंग ढांचे में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है, जो ऐतिहासिक रूप से भारत में ईवी की स्वीकार्यता की यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण बाधाओं में से एक रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, ईवी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या वित्त वर्ष 2020-21 के 5,000 से बढ़कर 2024-25 में 1.07 लाख से अधिक हो गई है। इनमें सार्वजनिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों (ईवीपीसीएस) की संख्या लगभग पांच गुना हो गई है। यह कैलेंडर साल 2022 के 5,151 से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 की शुरुआत में 26,000 से अधिक हो गई है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2029-30 तक कुल वाहनों में 30 प्रतिशत ईवी बिक्री का लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई है और इस परिवर्तन को सक्षम करने में सक्रिय भूमिका निभा रही है।
भाषा अनुराग अजय
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