नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) केंद्र ने कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया है, जिससे उसे कृष्णा नदी से जुड़े लंबे समय से चले आ रहे अंतर-राज्यीय जल-बंटवारा विवाद पर अपनी अंतिम रिपोर्ट और निर्णय देने के लिए 31 जुलाई 2026 तक का समय मिल गया है।
जल शक्ति मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत न्यायाधिकरण को और समय दिया गया है।
न्यायाधिकरण ने अपना काम पूरा करने के लिए औपचारिक रूप से और समय मांगा था।
इससे पहले न्यायाधिकरण का कार्यकाल मार्च 2024 में एक अधिसूचना के माध्यम से 31 जुलाई 2025 तक बढ़ाया गया था।
मूल रूप से कृष्णा नदी के जल बंटवारे को लेकर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच विवादों का निपटारा करने के लिए अप्रैल 2004 में कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया था।
न्यायाधिकरण ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट दिसंबर 2010 में सौंपी थी, लेकिन राज्यों द्वारा संदर्भ दिये जाने और आपत्तियां जताये जाने पर आगे की सुनवाई और निर्णय आवश्यक हो गए।
साल 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया, जिसके बाद नवगठित तेलंगाना भी कृष्णा जल विवाद में एक पक्षकार बन गया।
तब से, उसकी समय सीमा को लगातार अधिसूचनाओं के माध्यम से कई बार बढ़ाया गया।
नवीनतम विस्तार इसी क्रम में है। सरकार ने अंतर-राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम की धारा 5(3) का हवाला देते हुए ‘‘जनहित में और संबंधित राज्यों की चिंताओं को दूर करने के लिए’’ अधिक समय दिया है।
भाषा राजकुमार सुभाष
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