(इयान मुसग्रेव, एडिलेड विश्वविद्यालय)
एडिलेड, 16 जुलाई (द कन्वरसेशन) ऑस्ट्रेलिया के चिकित्सीय वस्तु प्रशासन (टीजीए) ने पिछले हफ्ते सनस्क्रीन में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले सात सक्रिय अवयवों की सुरक्षा समीक्षा के नतीजे जारी किए। इसमें पांच अवयवों को कम जोखिम वाला पाया गया, जो अपनी वर्तमान सांद्रता पर सनस्क्रीन में इस्तेमाल किए जाने के लिए उपयुक्त थे।
हालांकि, टीजीए ने दो अन्य अवयवों-होमोसैलेट और ऑक्सीबेनजोन-पर कड़े प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की, ताकि किसी उत्पाद में इनके इस्तेमाल की मात्रा कम की जा सके। यह सिफारिश हार्मोन का उत्पादन और स्राव करने वाले अंतःस्रावी तंत्र (एंडोक्राइन सिस्टम) पर इन अवयवों के संभावित प्रभावों को लेकर अनिश्चितता पर आधारित है।
यही नहीं, इस घटनाक्रम से पहले ऐसी खबरें आई थीं कि कुछ सनस्क्रीन अपने एसपीएफ सुरक्षा मानक को लेकर बढ़ा-चढ़ाकर दावे कर रहे हैं। ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई लोगों का अपने सनस्क्रीन की सुरक्षा और प्रभावशीलता को लेकर चिंतित होना लाजिमी है।
लेकिन सनस्क्रीन का इस्तेमाल बंद करने का समय अभी नहीं आया है। ऑस्ट्रेलिया में किसी भी सनस्क्रीन को बाजार में कदम रखने से पहले एक सख्त अनुमोदन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। टीजीए सभी अवयवों की सुरक्षा और प्रभावशीलता का परीक्षण करता है। और यह हालिया समीक्षा उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की टीजीए की निरंतर प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
आस्ट्रेलियाई लोगों के स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा सनस्क्रीन का इस्तेमाल न करना है।
दरअसल, दुनियाभर में मेलेनोमा और गैर-मेलेनोमा त्वचा कैंसर के सबसे ज्यादा मामले ऑस्ट्रेलिया में दर्ज किए जाते हैं। देश में मेलेनोमा के लगभग 95 फीसदी मामलों के लिए पराबैंगनी (यूवी) विकिरणों के संपर्क को जिम्मेदार माना जाता है।
बावजूद इसके, यह समझ में आता है कि लोग अपने उत्पादों में इस्तेमाल किए जाने वाले अवयवों के बारे में क्यों जानना चाहते हैं। तो आइए सुरक्षा समीक्षा और उसके निष्कर्षों पर करीब से नजर डालते हैं।
सनस्क्रीन में कौन-से सक्रिय तत्व मौजूद होते हैं?
-सनस्क्रीन मुख्यत: दो तरह की होती हैं : भौतिक और रासायनिक। यह उनके निर्माण में इस्तेमाल विभिन्न सक्रिय तत्वों पर निर्भर करता है।
सक्रिय तत्व किसी उत्पाद में मौजूद वह रासायनिक घटक होता है, जिसका शरीर पर प्रभाव पड़ता है। यह मूलतः वह तत्व होता है, जो उत्पाद को अपना ‘काम’ करने में सक्षम बनाता है।
सनस्क्रीन में कोई सक्रिय तत्व वह यौगिक होता है, जो सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी विकिरणों को अवशोषित करता है। अन्य अवयव-उदाहरण के लिए, वे जो सनस्क्रीन को उसकी गंध देते हैं या त्वचा की उसे अवशोषित करने में मदद करते हैं-‘निष्क्रिय तत्व’ कहलाते हैं।
भौतिक सनस्क्रीन में आमतौर पर टाइटेनियम डाइऑक्साइड और जिंक ऑक्साइड जैसे खनिजों का इस्तेमाल होता है, जो सूर्य की किरणों को अवशोषित करने में तो सक्षम हैं, लेकिन कुछ किरणों को परावर्तित भी कर सकते हैं।
वहीं, रासायनिक सनस्क्रीन में लंबी-तरंग की पराबैंगनी किरणों (यूवीए) और छोटी-तरंग की पराबैंगनी किरणों (यूवीबी), दोनों को अवशोषित या प्रकीर्णित करने के लिए कई तरह के रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है।
इस समीक्षा में शामिल सात सक्रिय तत्व रासायनिक सनस्क्रीन के निर्माण में इस्तेमाल किए जाते हैं।
टीजीए ने यह समीक्षा क्यों की?
-सनस्क्रीन में इन रसायनों की सांद्रता के संबंध में हमारी मौजूदा सीमाएं आम तौर पर अन्य नियामक एजेंसियों, जैसे यूरोपीय संघ (ईयू) और अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) के अनुरूप हैं।
हालांकि, सुरक्षा एक ऐसा विषय है, जिसमें लगातार नये विकास होते रहते हैं। टीजीए समय-समय पर सभी चिकित्सीय उत्पादों की सुरक्षा की फिर से जांच करता है।
पिछले साल, टीजीए ने सनस्क्रीन के इस्तेमाल का असर आंकने की अपनी पद्धति में बदलाव किया, ताकि यह बेहतर तरीके से समझा जा सके कि समय के साथ त्वचा पर इसका प्रभाव कैसे प्रभावित होता है।
नयी पद्धति में इस बात पर विचार किया जाता है कि कोई व्यक्ति आमतौर पर कितनी सनस्क्रीन इस्तेमाल करता है, वह कितनी त्वचा पर इसे लगाता है (पूरे शरीर पर या चेहरे और हाथ पर या सिर्फ चेहरे पर) और यह त्वचा के माध्यम से कैसे अवशोषित होता है।
इस नयी पद्धति को देखते हुए और सनस्क्रीन विनियमन को लेकर यूरोपीय संघ और अमेरिका के दृष्टिकोण में बदलाव के बीच टीजीए ने गहन जांच के लिए सात आम अवयवों का चयन किया।
सुरक्षित अवयवों की पहचान
-यह पता लगाते समय कि कोई रसायन मानव उपयोग के लिए सुरक्षित है या नहीं, परीक्षण में अक्सर जानवरों पर किए गए अध्ययनों पर विचार किया जाता है, खासकर जब मनुष्यों पर कोई डेटा उपलब्ध न हो या सीमित हो। ये पशु परीक्षण निर्माता करते हैं, न कि टीजीए।
किसी रसायन के प्रति इंसानों में होने वाली किसी भी अप्रत्याशित संवेदनशीलता को ध्यान में रखने के लिए एक ‘सुरक्षा मार्जिन’ बनाया गया है। यह आमतौर पर उस खुराक से 50 से 100 गुना कम सांद्रता होती है, जिस पर जानवरों में कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं देखा जाता।
सनस्क्रीन समीक्षा में सुरक्षा सीमा के रूप में इस खुराक से 100 गुना कम ‘सुरक्षा मार्जिन’ का इस्तेमाल किया गया।
सनस्क्रीन में इस्तेमाल जिन सात रसायनों की जांच की गई, उनमें से अधिकांश के मामले में टीजीए ने पाया कि ‘सुरक्षा मार्जिन’ 100 से ऊपर था। इसका मतलब यह है कि उन्हें दीर्घकालिक इस्तेमाल के लिए सुरक्षित और कम जोखिम वाला माना जा सकता है।
हालांकि, दो अवयवों-होमोसैलेट और ऑक्सीबेनजोन के मामले में ‘सुरक्षा मार्जिन’ 100 से कम पाया गया। यह उच्चतम अनुमानित सनस्क्रीन प्रयोग पर आधारित था, जिसे शरीर पर अधिकतम अनुमत सांद्रता पर लगाया गया था, जो होमोसैलेट के लिए 15 प्रतिशत, ऑक्सीबेनजोन के लिए 10 फीसदी थी।
कम सांद्रता में केवल हाथ और चेहरे पर इस्तेमाल को दोनों अवयवों के मामले में कम जोखिम वाला माना जा सकता है।
स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं क्यों?
-होमोसैलेट और ऑक्सीबेनजोन में तीव्र मौखिक विषाक्तता कम होती है-जिसका मतलब यह है कि जहरीले प्रभाव का अनुभव करने के लिए आपको इसकी बहुत अधिक मात्रा (लगभग आधा किलोग्राम) निगलनी होगी। ये अवयव आंखों या त्वचा में जलन भी पैदा नहीं करते हैं।
इस बात के अपुष्ट प्रमाण मिले हैं कि ऑक्सीबेनजोन चूहों में कैंसर का कारण बन सकता है, लेकिन केवल उस सांद्रता में, जो मनुष्यों को सनस्क्रीन के माध्यम से कभी नहीं मिलेगी।
मुख्य मुद्दा यह है कि क्या ये दोनों तत्व अंतःस्रावी तंत्र को प्रभावित करते हैं।
हालांकि, पशुओं पर अध्ययन के दौरान उच्च सांद्रता पर प्रभाव देखे गए हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि सनस्क्रीन के संपर्क में आने वाले इंसानों पर भी ये प्रभाव पड़ते हैं या नहीं।
नैदानिक अध्ययनों में प्रजनन क्षमता, हार्मोन उत्पादन, वजन बढ़ने और गर्भवती महिलाओं में भ्रूण के विकास पर कोई प्रभाव नहीं देखा गया है।
किन बातों का ध्यान रखना जरूरी?
-टीजीए ने होमोसैलेट और ऑक्सीबेनजोन की स्वीकृत सांद्रता को कम करने की सिफारिश की है। लेकिन इसमें कितनी कमी की जाएगी, यह तय करना जटिल है और इस बात पर निर्भर करता है कि उत्पाद वयस्कों या बच्चों के लिए है, सिर्फ चेहरे के लिए है या पूरे शरीर के लिए है।
बेंजोफेनोन के बारे में क्या?
-इस बात के भी कुछ प्रमाण मिले हैं कि बेंजोफेनोन-एक रसायन जो ऑक्टोक्रिलीन युक्त सनस्क्रीन के खराब होने पर उत्पन्न होता है-उच्च सांद्रता में कैंसर का कारण बन सकता है।
ये प्रमाण उन अध्ययनों पर आधारित हैं, जिनमें चूहों को सनस्क्रीन की सांद्रता से कहीं ज्यादा मात्रा में बेंजोफेनोन दिया गया था।
ऑक्टोक्रिलीन समय के साथ धीरे-धीरे बेंजोफेनोन में विघटित होता है। गर्मी इसे तेजी से विघटित करती है, खासकर 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान।
टीजीए ने सनस्क्रीन में बेंजोफेनोन की मात्रा 0.0383 प्रतिशत तक सीमित रखने की सिफारिश की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्पाद के इस्तेमाल की अवधि के दौरान यह सुरक्षित रहे।
कैंसर काउंसिल सनस्क्रीन को 30 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान पर रखने की सलाह देती है।
(द कन्वरसेशन) पारुल रंजन
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