श्रीनगर, 16 जुलाई (भाषा)पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि न्यायपालिका विभाजनकारी राजनीति से प्रभावित प्रतीत होती है।
महबूबा मुफ्ती की यह टिप्पणी केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) द्वारा जम्मू-कश्मीर राजस्व (अधीनस्थ) सेवा भर्ती नियम 2009 के प्रासंगिक प्रावधानों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के बाद आई है, जिसमें नायब तहसीलदार के पद के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में उर्दू के ज्ञान के साथ स्नातक होना अनिवार्य है।
तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने रेखांकित किया कि उर्दू, एक मान्यता प्राप्त आधिकारिक भाषा है। उन्होंने कहा कि उर्दू को ‘अनुचित रूप से सांप्रदायिक’ बनाया जा रहा है।
पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में राजस्व रिकॉर्ड और प्रशासनिक कार्य उर्दू में ही किए जाते हैं, और ‘‘यह तर्कसंगत है कि नायब तहसीलदार के पद के लिए आवेदकों के पास भाषा की बुनियादी दक्षता हो।’’
उन्होंने कहा कि यह आवश्यकता पूर्णतः प्रशासनिक दक्षता पर आधारित है, न कि विभाजन पैदा करने की किसी मंशा से।
कैट का यह आदेश ऐसे समय में आया है जब नायब तहसीलदार भर्ती परीक्षा में उर्दू को अनिवार्य भाषा बनाने के पूर्व के आदेश से पिछले महीने जम्मू क्षेत्र में आक्रोश फैल गया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)ने उर्दू को अनिर्वाय बनाने के ‘‘भेदभावपूर्ण आदेश’’ को रद्द करने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन और रैलियों का नेतृत्व किया था।
कैट के आदेश का हवाला देते हुए जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (जेकेएसएसबी) ने मंगलवार को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर दी।
भाषा धीरज माधव
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