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Thursday, July 17, 2025

भाजपा कच्चातिवु द्वीप पर केवल राजनीति करती है : स्टालिन

Newsभाजपा कच्चातिवु द्वीप पर केवल राजनीति करती है : स्टालिन

मयिलादुथुराई, 16 जुलाई (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने बुधवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार को राज्य के मछुआरों की जरा भी चिंता नहीं है और वह केवल इस बात पर राजनीति करती है कि कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को किसने सौंपा।

स्टालिन ने यहां एक सरकारी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दावा किया कि राज्य सरकार मछुआरों के पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकारों को स्थापित करने और उनके हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी वह प्रधानमंत्री से मिलते हैं, तो वह तमिलनाडु के मछुआरों की समस्याओं का स्थायी समाधान खोजने के लिए श्रीलंका से कच्चातिवु द्वीप को वापस लेने की मांग करते हैं।

स्टालिन ने याद दिलाया कि दो अप्रैल, 2025 को राज्य विधानसभा में कच्चातिवु को वापस लाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था। राज्य सरकार केंद्र पर श्रीलंकाई जेलों में बंद भारतीय मछुआरों की रिहाई और उनकी जब्त की गई नौकाओं को वापस लाने के लिए दबाव बना रही है।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) अध्यक्ष स्टालिन ने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा नीत केंद्र सरकार को तमिलों या तमिलनाडु के मछुआरों की जरा भी परवाह नहीं है और वे (भाजपा) केवल इस बात पर राजनीति कर रहे हैं कि कच्चातिवु (श्रीलंका को) किसने सौंपा।’’

भाजपा और राज्य में उसकी सहयोगी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक)दोनों ही कच्चातिवू को सौंपे जाने के लिए द्रमुक और कांग्रेस को दोषी ठहराते हैं।

स्टालिन ने कहा, ‘‘किसी अन्य देश के साथ समझौता करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। पिछले 10 वर्षों से भाजपा केंद्र में सत्ता में है। अब तक कच्चातिवु को वापस पाने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं? क्या उन्होंने कम से कम यह सुनिश्चित किया है कि तमिलनाडु के मछुआरों को श्रीलंका द्वारा गिरफ्तार न किया जाए? नहीं, उन्होंने ऐसा नहीं किया है।’’

श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ ने आरोप लगाया है कि तमिलनाडु के मछुआरे कच्चातिवु में अतिक्रमण करते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीलंका का कच्चातिवु द्वीप वापस करने का कोई इरादा नहीं है।

स्टालिन ने सवाला किया, ‘‘विदेश मंत्री एस जयशंकर का जवाब क्या है? आपको इस पर विचार करना चाहिए, अब तक कोई जवाब नहीं आया है।’’

भाषा धीरज रंजन

रंजन

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