नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) दिल्ली के जंतर मंतर पर रेहड़ी पटरी वालों ने बुधवार को विरोध प्रदर्शन किया और कथित तौर पर कानून के खिलाफ जाकर उन्हें बेदखल करने और सड़कों से उनका सामान हटाने के लिए अधिकारियों की निंदा की।
प्रदर्शनकारियों ने पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम, 2014 के पूर्ण कार्यान्वयन की मांग की। उन्होंने कहा कि यह कानून शहर में विक्रय समितियों के गठन और रेहड़ी वालों के लिए दो प्रतिशत भूमि आरक्षित करने का प्रावधान है।
नेशनल हॉकर्स फेडरेशन (एनएचएफ) के महासचिव शक्तिमान घोष ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “यह सिर्फ रेहड़ी पर ही नहीं, बल्कि भारत के संविधान पर भी हमला है। संसद ने 2014 का कानून पथ विक्रेता के आजीविका के अधिकार की रक्षा के लिए पारित किया था, लेकिन इस कानून का पूरी तरह से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है।’
समूह ने आवास एवं शहरी कार्य के मंत्रालय को भी पत्र लिखकर कानून के उल्लंघन की शिकायत की है।
पत्र में लिखा है, ‘फेडरेशन मांग करता है कि विक्रेताओं का उत्पीड़न बंद किया जाए, नगर विक्रय समितियों की भूमिका बहाल की जाए और साप्ताहिक बाजारों को एक संरचित और भागीदारी प्रक्रिया के माध्यम से औपचारिक मान्यता दी जाए।”
महासंघ ने केंद्र से अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की निगरानी समिति बनाने का भी आग्रह किया है।
फेडरेशन ने कहा कि वह उच्चतम न्यायालय में एक नई याचिका दायर करने की योजना बना रहा है और 24 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगा, जिसे वे बेदखली विरोधी दिवस के रूप में मनाएंगे।
भाषा नोमान रंजन
रंजन