नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने अपनी पत्नी और बच्चों सहित पांच परिजनों की हत्या के दोषी एक व्यक्ति की मौत की सजा को बुधवार को ‘अंतिम सांस तक’ कारावास की सजा में तब्दील कर दिया।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कर्नाटक के बल्लारी जिले के रहने वाले बायलुरू थिप्पैया को उसके परिवार के पांच सदस्यों की “बर्बर और निर्मम हत्या” के लिए दोषी ठहराए जाने के फैसले को बरकरार रखा।
पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ता-दोषी को इस बेहद निंदनीय प्रकृति के अपराध को अंजाम देने के लिए प्रेरित करने वाली समग्र परिस्थितियों को देखते हुए मौत की सजा उचित नहीं हो सकती है।’
उसने कहा, ‘उसे अपने अपराध के लिए पश्चाताप करने की कोशिश करते हुए जेल में अपने दिन बिताने चाहिए। इस तरह, इन अपीलों को आंशिक रूप से इस हद तक अनुमति दी जाती है कि उसे मौत की सजा से मुक्त कर दिया जाए। इसके बजाय, उसे बिना किसी छूट के जेल में अपनी अंतिम सांस का इंतजार करना होगा।’
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पर्याप्त जानकारी होने के बावजूद शमन रिपोर्ट सहित विभिन्न रिपोर्ट पर ‘उचित और पर्याप्त रूप से’ विचार नहीं किया।
उसने कहा कि परिवीक्षा रिपोर्ट से पता चलता है कि थिप्पैया का कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और इस बात पर मिश्रित राय है कि वह सुधार के लिए उपयुक्त है या नहीं।
पीठ ने कहा, ‘कर्नाटक सरकार की कारागार एवं सुधार सेवाओं की ओर से पेश ‘आचरण एवं व्यवहार रिपोर्ट’ में दर्ज है कि उसका ‘नैतिक चरित्र अच्छा’ है और सह-कैदियों एवं जेल अधिकारियों के साथ उसका ‘व्यवहार भी संतोषजनक’ है।’
उसने कहा कि यह भी रिकार्ड में आया कि दोषी ने जिला लोक शिक्षा समिति की ओर से आयोजित बुनियादी साक्षरता कार्यक्रम में हिस्सा लिया और ‘अच्छे रैंक’ के साथ उत्तीर्ण हुआ।
थिप्पैया ने 25 फरवरी 2017 को अपनी पत्नी, तीन बच्चों और साली पर जानलेवा हमला किया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी।
निचली अदालत उसे 2017 में हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था और उच्च न्यायालय ने 30 मई 2023 को उसकी सजा की पुष्टि की थी।
भाषा पारुल माधव
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