देहरादून, 16 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड में बुधवार को हरियाली के पर्व ‘हरेला’ के मौके पर रिकॉर्ड आठ लाख 13 हजार से अधिक पौधे लगाकर एक नया इतिहास रचा गया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रुद्राक्ष का पौधा रोपकर अभियान की शुरूआत की ।
यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़, मां के नाम’ अभियान को मुख्यमंत्री ने और व्यापक रूप देते हुए इसे ‘हरेला का त्योहार मनाओ, धरती मां का ऋण चुकाओ’ जैसे सार्थक जनसंदेश से जोड़ा और प्रदेश के सभी 13 जिलों में आठ लाख 13 हजार से अधिक पौधों का रोपण किया गया ।
विज्ञप्ति के अनुसार, प्रदेश के गांवों, कस्बों, शहरों और स्कूलों में हजारों स्थानों पर पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें स्थानीय प्रशासन, वन विभाग, स्वयंसेवी संगठनों, विद्यालयों, आंगनबाड़ी केंद्रों, महिला समूहों और युवाओं ने पूरे उत्साह के साथ भागीदारी की।
इसमें कहा गया, ‘‘अब तक पूरे राज्य में कुल आठ लाख 13 हजार 53 पौधे रोपे जा चुके हैं जो किसी एक पर्व के अवसर पर उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा पौधारोपण प्रयास है।’’
इस वर्ष हरेला पर प्रदेश में पांच लाख पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया था। इससे पहले उत्तराखंड में 2016 में करीब दो लाख पौधे लगाए गए थे।
मुख्यमंत्री ने यहां गोरखा मिलिट्री इंटर कॉलेज परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में पौधारोपण करने के बाद कहा कि हरेला केवल एक पर्व नहीं, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति, प्रकृति और चेतना से जुड़ा एक गहरा भाव है जो पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारियों की याद दिलाता है ।
हरेला पर पांच लाख पौधे लगाये जाने के राज्य सरकार के लक्ष्य का जिक्र करते मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पौधे रोपे जाने का यह केवल एक आंकड़ा नहीं है बल्कि पर्यावरण के प्रति हमारी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता के साथ सामूहिक प्रयासों का एक जीवंत उदाहरण है।’’
उन्होंने कहा कि पौधारोपण करने के बाद असली जिम्मेदारी उसकी देखभाल करने की होती है।
उन्होंने जनता से आग्रह किया, ‘‘आज जो भी पौधे हमने लगाए हैं, उन्हें हम अपनी संतानों की तरह पालें और सुनिश्चित करें कि वे बड़े होकर हरे-भरे वृक्ष बनें।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार वन विभाग के हरेक मंडल में लगाए जाने वाले पौधों में से आधे फलदार वृक्षों के पौधे हैं।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास कार्यों, प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ दिया है और इस संकट से निपटने के लिए सामूहिक रूप से पर्यावरण संरक्षण की जरूरत है ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण के लिए ‘स्प्रिंग एंड रिवर रिजुविनेशन अथॉरिटी’ (सारा) का गठन किया गया है जिसके माध्यम से अब तक 6,500 से अधिक जल स्रोतों का संरक्षण और 31,20,000 घन मीटर वर्षा जल का संचयन किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है और वाहनों में कूड़ेदान अनिवार्य कर दिया गया है।
धामी ने प्रदेशवासियों का आह्वान किया कि वे अपने जीवन के विशेष अवसरों पर एक पौधा अवश्य लगाएं और उसकी देखभाल करें ताकि पर्यावरण संरक्षण को एक जनांदोलन बनाया जा सके।
कार्यक्रम में प्रदेश के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पिछले तीन वर्ष में हरेला पर्व पर लगाए गए पौधों की उत्तरजीविता दर यानी ‘सर्वाइवल रेट’ 80 प्रतिशत से अधिक रहा है ।
भाषा दीप्ति
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