31.2 C
Jaipur
Thursday, July 17, 2025

“राज्यपाल से वकील की कुर्सी तक: पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ने गोवा कार्यकाल के बाद वकालत शुरू करने का ऐलान किया”

Fast News"राज्यपाल से वकील की कुर्सी तक: पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ने गोवा कार्यकाल के बाद वकालत शुरू करने का ऐलान किया"

(रुपेश सामंत)

पणजी, 17 जुलाई (भाषा) गोवा के निवर्तमान राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ने कहा कि कार्यभार से मुक्त होने के बाद वह फिर से वकालत शुरू करना पसंद करेंगे।

पिल्लई ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि गोवा में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने जटिल मुद्दों को बिना किसी परेशानी के निपटाया, यही उनकी कार्यशैली का तरीका था।

तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पुसापति अशोक गजपति राजू को सोमवार को पिल्लई की जगह गोवा का नया राज्यपाल नियुक्त किया गया।

निवर्तमान राज्यपाल ने कहा कि वह अपने गृह राज्य केरल वापस जाने के बाद वकील के तौर पर काम जारी रखना चाहते हैं।

पिल्लई (70) ने कहा, ‘‘इसीलिए, मैंने अपना नामांकन (वकील के रूप में) वापस नहीं लिया है।’’

वकालत के पेशे से संबद्ध पिल्लई 2019 में मिजोरम और फिर 2021 में गोवा में राज्यपाल का पद संभालने से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केरल इकाई के दो बार अध्यक्ष रह चुके हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यपाल का पद संभालने के बाद अदालतों में बहस करना अजीब नहीं होगा, उन्होंने कहा, ‘‘यह अहंकार है। प्रोटोकॉल के अनुसार केंद्र सरकार की सूची (वरीयता क्रम) में राज्यपाल चौथे स्थान पर होते हैं, जबकि उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश छठे स्थान पर होते हैं।’’

उन्होंने बताया कि इसीलिए हर कोई कहता है कि राज्यपाल अदालत में जाकर वकालत कैसे कर सकते हैं।

पिल्लई ने कहा, ‘‘अदालत न्याय का मंदिर है और जो भी कुर्सी (न्यायाधीश) पर बैठा है, वह महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आपको उनका (न्यायाधीशों का) सम्मान करना चाहिए। मुझे उन्हें (न्यायाधीश को) ‘यॉर ऑनर’ कहने में क्या परेशानी होगी भला, इसमें कुछ भी गलत नहीं है।’’

पिल्लई ने कहा कि पद से मुक्त होने के बाद एक राज्यपाल के वकालत करने पर कोई कानूनी रोक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अपना काला कोट और गाउन पहनना चाहता हूं।’’

पिल्लई ने कहा कि राज्यपाल के रूप में अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान उन्हें गोवा के समुद्र तटों पर जाने का मौका नहीं मिला, जबकि उन्होंने अपनी ‘‘ग्रामीण यात्रा’’ के तहत राज्य के सभी तालुकाओं का दौरा किया।

उन्होंने कहा, ‘‘अपने कार्यकाल के दौरान मैं गोवा के समुद्र तटों पर नहीं गया, क्योंकि अगर मैं जाता तो मेरे साथ सात-आठ वाहनों का काफिला और पूरा प्रोटोकॉल होता। इससे समुद्र तटों पर आने वाले पर्यटकों को परेशानी होती।’’

पिल्लई ने कहा कि गोवा के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपने आस-पास ‘‘कम से कम प्रोटोकॉल’’ रखने की पूरी कोशिश की।

राज्य के राजनीतिक हलकों में असहमति से निपटने के बारे में पूछे जाने पर, पिल्लई ने कहा कि जब भी विपक्षी दल के सदस्य उनके पास कोई शिकायत लेकर आते थे, तो वह अगले दिन मुख्यमंत्री को चाय पर बुलाते थे और मुद्दे पर चर्चा करते थे।

पिल्लई ने कहा कि जटिल मुद्दों से बिना परेशानी के निपटना उनकी कार्य शौली थी। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी मुझे कठिन फैसले लेने होते, मैं दूसरों को (इसके बारे में) समझाकर मनाता था।’’

भाषा खारी मनीषा

मनीषा

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles