नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) की कर्मचारी बनकर धोखाधड़ी करने की आरोपी एक महिला को अग्रिम जमानत दे दी और कहा कि कुछ दस्तावेजों की प्रामाणिकता की पुष्टि जरूरी है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ प्रताप सिंह लालेर, इंद्राणी दास गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। इंद्राणी के खिलाफ इंद्रपुरी थाने में धोखाधड़ी और जालसाजी समेत आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
अदालत ने 15 जुलाई के आदेश में जांच अधिकारी (आईओ) के जवाब पर गौर किया, जिसमें कहा गया है कि इंद्राणी ने एमसीए के चालान, मुहर और एक अधिकारी तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के हस्ताक्षरों के साथ जालसाजी की थी।
अभियुक्त के वकील सुमित गहलोत ने जमानत के खिलाफ अभियोजन पक्ष की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि यह मामला किसी षड्यंत्र के बजाय दीवानी मौद्रिक विवाद पर आधारित है।
न्यायाधीश लालेर ने कहा, ‘ऋण समझौते के साथ-साथ रिकॉर्ड पर मौजूद अन्य दस्तावेजों की प्रामाणिकता की पुष्टि होनी अभी बाकी है। लिहाजा अदालत का मानना है कि आवेदक फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) के परिणाम प्राप्त होने तक जमानत की हकदार है।’
भाषा जोहेब मनीषा
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