मुंबई, 17 जुलाई (भाषा) कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ कड़े प्रावधानों वाले विशेष जन सुरक्षा विधेयक के पिछले हफ्ते राज्य विधानसभा में विपक्षी पार्टी के सदस्यों के विरोध के बिना पारित होने पर अपने विधायक दल के नेता से स्पष्टीकरण मांगा है।
सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने सोमवार को कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार को पत्र लिखकर यह बताने को कहा है कि विधेयक को कांग्रेस सदस्यों के विरोध के बिना ही पारित होने दिया गया, जो कि पूर्व में हुई एक बैठक में लिए गए निर्णय के विपरीत है।
उन्होंने बताया कि सपकाल ने पार्टी आलाकमान के निर्देश पर वडेट्टीवार से स्पष्टीकरण मांगा है।
वडेट्टीवार ने पत्रकारों से बातचीत में स्वीकार किया कि उनसे स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है। कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि विधेयक को 10 जुलाई को विधानसभा में पारित होने के लिए लाया जाना है, जिस दिन वह बैंक चुनाव के लिए अपने गृह जिले चंद्रपुर में थे, वरना उन्होंने विधेयक की प्रति ‘फाड़’ दी होती।
पिछले हफ्ते महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद दोनों ने विवादास्पद महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक, 2024 को पारित कर दिया था, जिसका उद्देश्य ‘शहरी नक्सलवाद’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए वामपंथी उग्रवादी संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों को रोकना है।
इस विधेयक में कड़े प्रावधान हैं, जिनमें दोषी पाए जाने पर भारी जुर्माना और सात साल तक की जेल की सजा शामिल है। विधेयक की नागरिक संगठनों और विपक्षी दलों ने आलोचना की है, जो इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर असहमति को दबाने का हथियार मानते हैं।
सूत्रों ने बताया कि जब 10 जुलाई को राज्य विधानसभा में विधेयक को पारित करने के लिए लाया गया, तो सभी पार्टी विधायकों को सदन में बोलने के लिए प्रमुख बिंदु सुझाए गए थे। एक सूत्र ने कहा, ‘‘लेकिन हमारे कांग्रेस विधायक दल के नेता उस दिन (सदन में) अनुपस्थित थे।’’
अगले दिन यानी 11 जुलाई को कांग्रेस के विधान परिषद सदस्यों ने उच्च सदन में विधेयक का विरोध करते हुए बहिर्गमन किया।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने पार्टी सदस्यों को सख्त निर्देश जारी किया था कि विधानसभा में जो हुआ, वह विधान परिषद में नहीं दोहराया जाना चाहिए।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसीसी) के महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्निथला ने 30 जून को जब राज्य के पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई थी, तो उसमें विधेयक का विरोध करने का फैसला लिया गया था। हालांकि, विधानसभा में केवल एकमात्र माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) विधायक ने ही विधेयक का विरोध किया था।
वडेट्टीवार ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें, विधानसभा में उपनेता अमीन पटेल और विधान परिषद में कांग्रेस के समूह नेता सतेज पाटिल से पिछले हफ्ते विधेयक पारित होने के दौरान विधानमंडल की कार्यवाही का ब्योरा देने को कहा गया है।
वडेट्टीवार ने कहा, ‘‘मुझसे पार्टी को यह बताने के लिए कहा गया है कि किसने बहस में हिस्सा लिया और किसने इसका (विधेयक) विरोध किया।’’
उन्होंने स्वीकार किया कि विधानमंडल में पार्टी सदस्यों का बेहतर प्रबंधन हो सकता था।
वडेट्टीवार ने कहा, ‘‘मैं चंद्रपुर का मतदाता हूं और वहां जिला बैंक चुनावों के कारण (10 जुलाई को विधानसभा में) उपस्थित नहीं था। अगर मुझे पता होता कि उस दिन विधेयक पेश किया जाएगा, तो मैं अपना दौरा रद्द कर देता। मैं विधेयक फाड़ देता।’’
उन्होंने बताया कि विपक्षी सदस्य शुक्रवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मिलेंगे और विधेयक को मंजूरी न देने का अनुरोध करेंगे, जो इसे अधिनियम बनाने के लिए आवश्यक है।
शिवसेना (उबाठा) विधायक भास्कर जाधव ने बुधवार को प्रस्तावित कानून की आलोचना करते हुए इसे अत्यधिक कठोर और अलोकतांत्रिक बताया। उन्होंने महायुति सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि उसने विधेयक की आवश्यकता को उचित ठहराने के लिए कोई भी आंकड़ा या प्रमाण नहीं दिया।
जाधव ने प्रस्तावित कानून को ‘‘ब्रिटिश काल के कानूनों से भी बदतर’’ बताया।
भाषा पारुल नरेश
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