श्रीनगर, 17 जुलाई (भाषा) आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने राजस्व विभाग के दो अधिकारियों समेत सात लोगों के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामले के सिलसिले में बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर और बडगाम जिलों में कई जगहों पर छापेमारी की।
आर्थिक अपराध शाखा के एक प्रवक्ता ने बताया, “अदालत से तलाशी वारंट प्राप्त कर लिए गए थे और श्रीनगर व बडगाम जिलों में सात जगहों पर छापेमारी जारी है।”
आर्थिक अपराध शाखा को पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा के नाम से जाना जाता था।
उन्होंने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि बलहामा के तत्कालीन तहसीलदार नुसरत अजीज लोन और पटवारी आशिक अली समेत सात लोगों पर इस साल की शुरुआत में एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए राजस्व रिकॉर्ड में ‘हेरफेर’ करने का मामला दर्ज किया गया था।
प्रवक्ता ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ मामला एक लिखित शिकायत के बाद दर्ज किया गया था और शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि मोहम्मद शफी लोन उर्फ शफी चीनी से बलहामा में एक जमीन का टुकड़ा खरीदा था और तीन बिक्री पत्र तैयार किए थे।
शिकायतकर्ता ने शफी चीनी को 88.4 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया था और उक्त जमीन के बदले में गोरीपोरा रावलपोरा स्थित दो कनाल जमीन भी आरोपी को दी थी।
बाद में आरोपियों ने यह दो कनाल जमीन बेच दी थी।
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि रिकॉर्ड अद्यतन करने के लिए आरोपियों ने बिक्री पत्र वापस ले लिए थे।
प्रवक्ता ने बताया, “हालांकि जब रिकॉर्ड लौटाये गये तो उनमें खसरा संख्या बदलकर बिक्री विलेखों में बदलाव किए गए।”
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि बलहामा में 2.5 कनाल जमीन पर रेयाज अहमद भट नाम के व्यक्ति ने जबरन कब्जा कर लिया।
श्रीनगर स्थित ईओडब्ल्यू थाने में शिकायत मिलने पर सत्यापन प्रक्रिया शुरू की गई और जांच के दौरान, प्रथम दृष्टया यह पुष्टि हुई कि आरोपियों ने शिकायतकर्ता को धोखा दिया और राजस्व अधिकारियों व संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से बिक्री विलेखों में गलत संख्याएं दर्ज कराई गयी थीं।
प्रवक्ता ने बताया, “जांच के दौरान, यह भी सामने आया कि बलहामा के तत्कालीन तहसीलदार नुसरत अजीज और तत्कालीन पटवारी आशिक अली ने राजस्व अभिलेखों में झूठे दाखिल-खारिज किए ताकि रियाज अहमद भट को अनुचित लाभ पहुंचाया जा सके। भट ने वह जमीन बेच दी जो उसकी थी ही नहीं।”
उन्होंने बताया कि तहसीलदार नुसरत अजीज लोन और अन्य लोग 2021 में दर्ज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के एक अन्य मामले में भी शामिल हैं।
भाषा जितेंद्र अविनाश
अविनाश