लखनऊ, 17 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में अवैध खनन और आवागमन पर अंकुश लगाने के लिए एकीकृत खनन निगरानी प्रणाली (आईएमएसएस) के तहत उन्नत तकनीकों का उपयोग शुरू किया है।
राज्य सरकार द्वारा यहां जारी एक बयान के मुताबिक, खनन गतिविधियों पर पहले से ही ड्रोन, जियो-फेंसिंग, आरएफआईडी टैग (रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान टैग) और कृत्रिम मेधा (एआई)-संचालित चेक गेट के माध्यम से निगरानी की जा रही है और अब वाहनों में ओवरलोडिंग पर सटीक नजर रखने के लिए ‘वे-इन-मोशन’ (डब्ल्यूआईएम) तकनीक शुरू करने की तैयारी है।
बयान के अनुसार, भूविज्ञान और खनन विभाग ने खनन क्षेत्रों की जियो-फेंसिंग, कैमरा-युक्त वेब्रिज और परिवहन वाहनों की आरएफआईडी टैगिंग सहित कई तकनीक-संचालित उपायों के साथ निगरानी को मजबूत किया है।
इसमें कहा गया है कि इसके अलावा 25 जिलों में 57 मानवरहित आईओटी और कृत्रिम बुद्धिमता आधारित चेक गेट स्थापित किए गए हैं जो सभी निदेशालय के कमांड सेंटर से जुड़े हैं।
बयान के अनुसार, विभाग ने अवैध खनन और परिवहन पर नियंत्रण को मजबूत करने के लिए डब्ल्यूआईएम प्रणाली की स्थापना में सहायता के लिए परिवहन आयुक्त से भी सहयोग मांगा है।
इसमें बताया गया है कि इसके अलावा, खनन सेवाओं में डिजिटल पारदर्शिता बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने अपने पोर्टल को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के ‘परिवेश’ पोर्टल के साथ एकीकृत करने की पहल की है।
बयान के अनुसार इससे पर्यावरण मंजूरी प्रमाणपत्रों की निगरानी सुचारू होगी और खनन क्षेत्रों में प्रवर्तन की कार्रवाई में तेजी आएगी।
भाषा सलीम नोमान
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