नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि परिसीमा अधिनियम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमईडी) पर 2006 के कानून के तहत मध्यस्थता कार्यवाही पर लागू होगा।
परिसीमा कानून, कानूनी मामलों को शुरू करने के लिए समय सीमा निर्धारित करता है और विवादों का समय पर समाधान सुनिश्चित करने और पुराने दावों की रोकथाम करता है।
हालांकि, न्यायालय ने यह माना कि परिसीमा कानून, 1963 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 के अंतर्गत पक्षों के बीच सुलह कार्यवाही पर लागू नहीं होगा।
पीठ ने कहा कि ‘‘परिसीमा अधिनियम, एमएसएमईडी अधिनियम…या इस न्यायालय द्वारा निर्धारित कानूनी दृष्टांतों में कोई कानूनी रोक नहीं है जो समय-बाधित ऋणों के संबंध में सुलह को प्रतिबंधित करती है।’’
न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने पीठ के लिए 51 पृष्ठों का फैसला लिखते हुए कहा, ‘‘एमएसएमईडी अधिनियम की धारा 18(2) के तहत सुलह की कार्यवाही पर परिसीमा अधिनियम लागू नहीं होता। समय-बाधित दावे को सुलह के लिए भेजा जा सकता है क्योंकि परिसीमा अवधि समाप्त होने से राशि वसूलने का अधिकार समाप्त नहीं होता, जिसमें सुलह प्रक्रिया के माध्यम से किया जा सकने वाला समझौता भी शामिल है।’’
यह फैसला मेसर्स सोनाली पावर इक्विप्मेंट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर आया।
भाषा सुभाष माधव
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