हरिद्वार, 17 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बृहस्पतिवार को राज्य की सभी सीमाओं पर स्थित प्रवेश द्वारों पर 251 फुट ऊंचे भगवा ध्वज स्थापित करने की घोषणा की जो दुनिया में सबसे ऊंचे धर्म ध्वज होंगे।
मुख्यमंत्री ने यहां हरिद्वार में गंगा किनारे धर्म ध्वजा की स्थापना के लिए सांकेतिक रूप से शिलान्यास कर इसकी शुरूआत की। हर की पौड़ी की प्रबंधकारिणी संस्था श्रीगंगा सभा, जिला प्रशासन और भारतीय नदी परिषद के संयुक्त तत्वाधान में इसकी स्थापना की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने इस योजना के बारे में बताया कि उत्तराखंड देव भूमि है और राज्य की सीमा के अंदर प्रवेश करते ही व्यक्ति को एक अलौकिक अहसास देने के लिए राज्य की सीमाओं पर विशाल भगवा ध्वज स्थापित किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “धर्मध्वज की स्थापना का मकसद यह है कि राज्य में प्रवेश करते समय ही व्यक्ति के मन में यह भाव उत्पन्न हो कि वह देव भूमि में प्रवेश कर रहा है।”
धामी ने कहा कि पहला ध्वज हरिद्वार में स्थापित किया जाएगा जिसका शिलान्यास सांकेतिक रूप से कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इसकी स्थापना का काम जल्द शुरू हो जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह धर्मध्वज 251 फुट ऊंचा होगा जो विश्व में सबसे ऊंचा होगा।
उन्होंने कहा कि ऋषि मुनियों, शंकराचार्य जैसे महापुरुषों की भूमि का मूल स्वरूप बन रहे, इसके लिए वह निरंतर काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री की इस घोषणा का साधु-संतों ने स्वागत किया है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी ने 251 फुट के धर्मध्वज की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री को बधाई देते हुए कहा कि वह लगातार सनातन की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं और ये धर्मध्वज विश्व में कीर्तिमान स्थापित करेंगे ।
धर्म ध्वज की स्थापना में सहयोगी श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने ‘पीटीआई भाषा’ से बातचीत में कहा कि 251 फुट के धर्मध्वज से पूरे विश्व में सनातन के संदेश का परचम लहराएगा।
उन्होंने बताया कि इससे पहले अब तक गुजरात में सबसे ऊंचा 221 फुट का ध्वज लगा है । उन्होंने कहा कि हरिद्वार में स्थापित होने वाले पहले धर्मध्वज का मुख्यमंत्री ने सांकेतिक शिलान्यास कर दिया है और अब जल्द ही उपयुक्त स्थान का चयन कर ध्वज की स्थापना का काम शुरू कर दिया जाएगा।
गौतम ने कहा, “यह धर्मध्वजा हरिद्वार की गरिमा, गंगा के महत्व और सनातन परंपरा के गौरव को बढ़ाएगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री सनातन का गौरव बढ़ाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं और इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं।”
भाषा सं दीप्ति नोमान
नोमान