नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोगों को प्रदूषण के बाहरी और आंतरिक दोनों रूपों से समान गंभीरता से निपटना होगा।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज के समय में सार्थक जीवन के लिए न केवल जीवनशैली में बदलाव की जरूरत है, बल्कि समाज में नैतिक परिवर्तन की भी आवश्यकता है।
होसबाले ने एक पुस्तक के विमोचन समारोह में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की उपस्थिति में कहा,‘‘आज पर्यावरण के संदर्भ में, भूपेंद्र जी ने कुछ महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने गंभीर चुनौतियों को सामने रखा और मैं उनकी बातों से सहमत हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पर्यावरण में दो प्रकार का प्रदूषण होता है – एक बाहरी और दूसरा आंतरिक। बाहरी प्रदूषण को दूर करने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना होगा और भूपेंद्र जी ने भी इसका बखूबी ज़िक्र किया।’’
होसबाले ने कहा कि लेकिन मनुष्य में भ्रष्टाचार, अहंकार, छल और आलस्य जैसा ‘आंतरिक’ प्रदूषण उतना ही गंभीर है।
उन्होंने कहा, ‘‘ लोगों को इससे भी खुद को बचाना होगा। जीवन को सार्थक और सफल बनाने के लिए, हमें आज के कठिन समय में इन दोनों चुनौतियों का डटकर मुकाबला करना होगा।’’
होसबाले ने सामाजिक विभाजन को भी समस्या का एक हिस्सा बताया और कहा कि स्वच्छ पर्यावरण के अंतर्गत मानसिक और व्यवहारिक परिवर्तन भी आता है।
सरकार्यवाह ने कहा, ‘‘समाज के भीतर भी एक समस्या है। उस पर्यावरण को सुधारना होगा। यह हमारे मन से शुरू होता है, यह हमारे व्यवहार और आचरण से शुरू होता है… यह ऊंच-नीच, हम बनाम वह की सोच है।’’
कार्यक्रम में अपने संबोधन में यादव ने मानव-प्रकृति संबंधों में संतुलन की आवश्यकता पर ज़ोर देने के लिए भारत की सांस्कृतिक परंपराओं का हवाला दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘पेरिस समझौते में उन सांस्कृतिक परंपराओं का सम्मान करने का उल्लेख है जो पृथ्वी को मां के रूप में देखती हैं।’’
सरकार के जीवनशैली अभियान का ज़िक्र करते हुए, उन्होंने कहा, ‘‘अब, मिशन लाइफ़ के कारण, दुनिया भर का हर पर्यावरण दस्तावेज़ लिखता है कि हमें सतत विकास और संतुलित जीवनशैली की आवश्यकता है। ये विचार भारत और उसकी दार्शनिक परंपराओं, जैसे वसुधैव कुटुम्बकम (दुनिया एक परिवार है) और सर्वे भवन्तु सुखिनः (सभी सुखी हों) से उत्पन्न हुए हैं।’’
यादव ने कहा कि भारत के सभ्यतागत मूल्य आधुनिक पारिस्थितिक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करते रहते हैं और वैश्विक रूपरेखा अब उन्हें मान्यता दे रही है।
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राजकुमार माधव
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