मुंबई, 17 जुलाई (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने कहा कि यूएपीए अपने वर्तमान स्वरूप में ‘संवैधानिक रूप से वैध’ है, अतः इसके प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित करने की मांग अस्वीकार्य है।
यह याचिका अनिल बाबूराव बैले ने वर्ष 2021 में दायर की थी, जिन्हें वर्ष 2020 में एल्गार परिषद मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा नोटिस भेजा गया था।
बैले ने अपनी याचिका में यूएपीए के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की अब निलंबित की जा चुकी धारा 124ए (देशद्रोह) को भी असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी। साथ ही उन्होंने 10 जुलाई, 2020 को जारी नोटिस को रद्द करने की भी मांग की थी।
याचिका में दावा किया गया था कि यूएपीए के प्रावधान कार्यपालिका को यह ‘अधिकार’ देते हैं कि वह किसी व्यक्ति या संगठन को गैरकानूनी घोषित कर दे, जबकि कानून में इस ‘गैरकानूनी गतिविधि’ की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है।
बैले ने यह भी तर्क दिया कि यूएपीए में वर्ष 2001 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को अपनाने के लिए किया गया संशोधन सरकार को यह अधिकार देता है कि वह किसी भारतीय नागरिक या संगठन को आतंकवादी घोषित कर सके, जो अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का समर्थन करता हो।
याचिका में कहा गया, ‘‘भारत का संविधान कार्यपालिका को किसी संगठन को अवैध घोषित करने का पूर्णाधिकार नहीं देता और संसद को भी ऐसा असीमित अधिकार नहीं दिया जा सकता।’’
भाषा राखी सुरेश
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