नैनीताल, 17 जुलाई (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा है कि पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यक्ति के गांव में स्थित उसके मकान के अंदर शौचालय न होने को नामांकन रद्द करने का वैध आधार नहीं माना जा सकता।
प्रदेश के टिहरी गढ़वाल जिले में उदवाखंड में ग्राम प्रधान पद का चुनाव लड़ने की इच्छुक कुसुम कोठियाल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन अधिकारी (आरओ) ने उनके नामांकन को इस आधार पर रद्द कर दिया कि उनके मकान के परिसर में शौचालय नहीं है।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने बुधवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन अधिकारी के फैसले की कड़ी आलोचना की तथा निर्वाचन आयोग को चुनाव चिह्न आंवटित करने और उनका नाम मतपत्र में शामिल करने के निर्देश दिए।
इससे पहले, निर्वाचन आयोग ने दलील दी कि मकान में शौचालय का अभाव पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्यताओं में से एक है और बताया कि ग्राम पंचायत विकास अधिकारी द्वारा दी गयी रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि कुसुम का शौचालय उनके घर से 150 मीटर की दूरी पर है।
इसी रिपोर्ट के आधार पर नौ जुलाई को उनका नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया।
आयोग ने यह भी कहा कि प्रत्याशियों को चुनाव चिह्न आवंटित किए जा चुके हैं और अब एक नए प्रत्याशी को शामिल करने के लिए बहुत देर हो चुकी है।
हालांकि, अदालत ने कहा कि शौचालय न होना और उसका दूर होना दो अलग बातें हैं। उसने कहा कि आरओ ने इस आधार पर नामांकन अस्वीकार किया कि शौचालय नहीं है जबकि जांच में कुछ दूरी पर शौचालय होने की पुष्टि हुई है।
उच्च न्यायालय ने इस विरोधाभास को अस्वीकार्य पाया और निर्वाचन अधिकारी के आचरण को ‘‘मनमाना, दुर्भावनापूर्ण और शक्ति का स्पष्ट दुरुपयोग’’ बताया।
अदालत ने निर्वाचन आयोग को आरओ के कार्यों की जांच करने और न्यायालय के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।
प्रदेश में 24 और 28 जुलाई को दो चरणों में पंचायत चुनाव होने हैं।
भाषा सं दीप्ति शफीक
शफीक