नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बृहस्पतिवार को शहर की प्रदूषण नियंत्रण समिति को एक नवाचार चैलेंज शुरू करने का निर्देश दिया, जिसका उद्देश्य पुराने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को अवशोषित करने वाले किफायती एवं प्रभावी तकनीकी समाधानों की पहचान करना है।
मंत्री की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इस चैलेंज में देशभर के लोग, स्टार्टअप, शोध संस्थान और प्रौद्योगिकी निर्माता हिस्सा ले सकेंगे।
सिरसा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वह उक्त चैलेंज के जरिये राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण को कम करने के वैज्ञानिक तरीके तलाशना चाहते हैं।
आदेश में कहा गया है, ‘दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को एक नवाचार चैलेंज तैयार करने और उसे शुरू करने का निर्देश दिया जाता है, जिसका उद्देश्य कम लागत वाले, रखरखाव के लिहाज से आसान और प्रभावी तकनीकी समाधानों की पहचान करना और उन्हें बढ़ावा देना है, जो दिल्ली क्षेत्र में चल रहे पुराने वाहनों से निकलने वाले पीएम 2.5 और पीएम 10 कण (उत्सर्जित मात्रा से कम से कम दोगुना) कम करने/अवशोषित करने में सक्षम हों।’
पीएम 2.5 वे सूक्ष्म कण होते हैं, जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या उससे भी कम होता है, यानी लगभग एक मानव बाल की चौड़ाई के बराबर। ये इतने छोटे होते हैं कि फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और रक्तप्रवाह में भी शामिल हो सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है।
दूसरी ओर, पीएम 10 अपेक्षाकृत मोटे कण होते हैं, जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है, यानी लगभग 10 मानव बाल जितने चौड़े। हालांकि, ये स्वास्थ्य के लिहाज से पीएम 2.5 जितने चिंताजनक नहीं हैं, फिर भी इनसे वायु प्रणाली में जलन पैदा हो सकती है और श्वसन संबंधी समस्याओं को बढ़ावा मिल सकता है।
इन समस्याओं से निपटने के लिए सिरसा ने अपने आदेश में कहा कि इन प्रौद्योगिकियों को वाहनों से निकलने वाले पीएम 2.5 और पीएम 10 प्रदूषकों को निष्क्रिय करने, अवशोषित करने या नष्ट करने के लिए डिजाइन किया जाना चाहिए और इन्हें वाहन के अंदर या बाहर लगाया जाना चाहिए।
आदेश के मुताबिक, समाधानों में अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए सामर्थ्य, स्थापना में आसानी, रखरखाव, मापनीयता और वास्तविक दुनिया की व्यवहार्यता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि प्रस्तुतियों के मूल्यांकन के लिए तकनीकी विशेषज्ञों का एक स्वतंत्र पैनल गठित किया जाएगा।
आदेश के अनुसार, ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली जैसे प्रमुख तकनीकी संस्थान से औपचारिक रूप से इस पैनल का नेतृत्व करने और मूल्यांकन एवं चयन प्रक्रिया में शामिल होने का अनुरोध किया जाएगा।’
इसमें कहा गया है, ‘पैनल में पर्यावरण इंजीनियरिंग संस्थानों के प्रतिनिधि, ऑटोमोटिव क्षेत्र के विशेषज्ञ और डीपीसीसी के सदस्य भी शामिल हो सकते हैं।’
सिरसा ने कहा कि नवाचार चैलेंज संबंधित आदेश जारी होने के 30 दिनों के भीतर शुरू किया जाएगा, जिसके बाद 90 दिनों में मूल्यांकन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी और परिणाम घोषित किए जाएंगे।
उन्होंने प्रस्तुतियां प्राप्त करने और उनका मूल्यांकन करने की पद्धति की रूपरेखा वाली अंतिम रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया और कहा कि अनुशंसित समाधान सरकार के विचारार्थ पेश किए जाने चाहिए।
एक अधिकारी ने बताया कि इस चैलेंज के जरिये सरकार का लक्ष्य पुराने वाहनों को दूसरा जीवन देना और प्रदूषण के स्तर में कमी लाना है।
दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में वायु गुणवत्ता पर नजर रखने वाली केंद्र की समिति ने जुलाई की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी में एक नवंबर तक पुराने या अधिक आयु वाले वाहनों पर ईंधन प्रतिबंध के कार्यान्वयन को स्थगित करने का निर्णय लिया था।
पुराने या अधिक आयु वाले वाहनों से मतलब 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहन और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन से है।
पूर्व में जारी निर्देशों के अनुसार, ऐसे वाहनों को एक जुलाई से दिल्ली में ईंधन नहीं दिया जाएगा, चाहे वे किसी भी राज्य में पंजीकृत हों।
सिरसा ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया था। उन्होंने इस कदम को ‘समय से पहले उठाया गया और संभावित रूप से प्रतिकूल’ बताया था और ‘परिचालन एवं अवसंरचनात्मक चुनौतियों’ का हवाला दिया था।
भाषा पारुल माधव
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