रायपुर, 18 जुलाई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी।
दुर्ग जिले के भिलाई शहर में चैतन्य बघेल के घर पर ताजा छापेमारी के बाद उनको धन शोधन रोधी अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हिरासत में लिया गया। पिता-पुत्र दोनों एक ही जगह रहते हैं।
सूत्रों ने बताया कि चैतन्य बघेल को धन शोधन रोधी अधिनियम की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया क्योंकि मामले में नये सबूत मिलने के बाद की गई छापेमारी के दौरान वह कथित तौर पर सहयोग नहीं कर रहे थे।
घर के बाहर भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद थे। कुछ पार्टी समर्थक भी वहां जमा थे।
भूपेश बघेल ने कहा कि आज चैतन्य का जन्मदिन है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बघेल ने ‘एक्स’ पर एक संदेश पोस्ट किया जिसमें कहा गया कि ईडी विधानसभा सत्र के आखिरी दिन उनके घर आयी है, जब रायगढ़ जिले की तमनार तहसील में अदाणी समूह की कोयला खदान परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई का मुद्दा उठाया जाना था।
बघेल के कार्यालय द्वारा जारी संदेश में कहा गया है, ‘‘आज राज्य विधानसभा (मानसून) सत्र का आखिरी दिन है। तमनार में अदाणी की परियोजना के लिए पेड़ काटे जाने का मुद्दा (सदन में) उठाया जाना था। साहेब ने ईडी को भिलाई निवास भेज दिया है।’’
भूपेश बघेल ने इस महीने की शुरुआत में तमनार तहसील का दौरा किया था और स्थानीय ग्रामीणों को समर्थन दिया था, जो क्षेत्र में एक कोयला खदान परियोजना के लिए पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं।
यह खदान महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) को आवंटित है, जिसने एमडीओ (खदान विकासकर्ता सह संचालक) का ठेका अदाणी समूह को दिया है।
संघीय जांच एजेंसी ने 10 मार्च को चैतन्य बघेल के खिलाफ इसी तरह की छापेमारी की थी।
ईडी ने पहले दावा किया था कि चैतन्य बघेल पर कथित शराब घोटाले से प्राप्त आय का ‘प्राप्तकर्ता’ होने का संदेह है। कहा गया है कि ‘घोटाले’ के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को ‘भारी नुकसान’ हुआ और शराब सिंडिकेट के लाभार्थियों की जेबों में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम गई।
इस मामले में, ईडी ने जनवरी में पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता कवासी लखमा के अलावा रायपुर के महापौर एवं कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, भारतीय दूरसंचार सेवा (आईटीएस) अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और कुछ अन्य लोगों को इस जांच के तहत गिरफ्तार किया था।
ईडी के अनुसार, छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाला 2019 और 2022 के बीच हुआ था, जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार थी।
इस जांच के तहत अब तक एजेंसी द्वारा विभिन्न आरोपियों की लगभग 205 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। 2024 में, उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में ईडी की पहली ईसीआईआर (प्राथमिकी) को रद्द कर दिया था, जो आयकर विभाग की एक शिकायत पर आधारित थी।
बाद में, संघीय एजेंसी ने एक नया मामला दर्ज किया था जब उसने छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू/एसीबी को धन शोधन रोधी एजेंसी द्वारा साझा की गई सामग्री के आधार पर आरोपियों के खिलाफ एक नयी प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था।
ईओडब्ल्यू/एसीबी ने पिछले साल 17 जनवरी को, यानी 2023 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हराने के लगभग एक महीने बाद, प्राथमिकी दर्ज की थी और इसमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और अन्य सहित 70 व्यक्तियों और कंपनियों को नामजद किया था।
ईडी के अनुसार, शराब की अवैध बिक्री से प्राप्त कथित कमीशन को ‘राज्य के सर्वोच्च राजनीतिक प्राधिकारियों के निर्देशों के अनुसार’ साझा किया गया था।
भाषा
अमित मनीषा
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