पुणे, 18 जुलाई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने जलवायु परिवर्तन से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और अनुसंधान एवं विकास निधि सहित वैश्विक सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया है।
उन्होंने कहा कि कोई भी देश अकेले शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकता है। जलवायु परिवर्तन एक बहुत बड़ी वैश्विक चुनौती है और इसलिए इसका समाधान मिलकर करना जरूरी है।
राव हाल में आरबीआई के कृषि बैंकिंग कॉलेज में हरित अवसंरचना वित्त पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ”इस संबंध में वैश्विक सहयोग बढ़ाने की जरूरत है, जिसे प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अनुसंधान एवं विकास निधि और कौशल विकास तक भी बढ़ाया जाना चाहिए।”
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को अपनी वेबसाइट पर उनका भाषण पोस्ट किया।
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि परियोजना आधारित वित्त से हटकर नीतिगत सुधारों, परियोजना पाइपलाइन के विकास और सुसंगत नियामक ढांचों के साथ समग्र बाजार विकास पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
उन्होंने इसके लिए पर्याप्त रूप से सार्वजनिक और निजी वित्तपोषण का समर्थन किया।
राव ने कहा कि बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी), विकास वित्तीय संस्थानों (डीएफआई), राष्ट्रीय विकास बैंकों (एनडीबी) आदि के लिए संचालन में सामंजस्य बनाने और संयुक्त वित्तपोषण को सक्षम करने की भी आवश्यकता है।
भाषा पाण्डेय रमण
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