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Friday, July 18, 2025

कैग ने ‘लॉकडाउन’ में मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे टोल कंपनी को 71 करोड़ रुपये देने की आलोचना की

Newsकैग ने 'लॉकडाउन' में मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे टोल कंपनी को 71 करोड़ रुपये देने की आलोचना की

मुंबई, 18 जुलाई (भाषा) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कोविड-19 महामारी के कारण लगाए गए ‘लॉकडाउन’ के दौरान मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे टोल परिचालक को 71.07 करोड़ रुपये की अनियमित राजस्व छूट देने के लिए महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की है।

कैग की अनुपालन लेखापरीक्षा रिपोर्ट शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा में पेश की गई।

महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) के स्वामित्व और नियंत्रण वाली एक सरकारी कंपनी मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे लिमिटेड (एमपीईएल) ने एक मार्च, 2020 से 30 अप्रैल, 2030 तक टोल संग्रह, संचालन, रखरखाव और हस्तांतरण (टीओटी) के लिए आईआरबी एमपी एक्सप्रेसवे प्राइवेट लिमिटेड (आईआरबी) के साथ 8,262 करोड़ रुपये के शुल्क पर एक उप-रियायती समझौता किया था।

रिपोर्ट में कहा गया, ”आईआरबी द्वारा एमपीईएल को अग्रिम राशि के तौर पर 6500 करोड़ रुपये देने थे (देरी होने पर 9.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ एक मार्च, 2020 को देय) जबकि शेष 1762 करोड़ रुपये अगले तीन वर्षों में देने थे। टोल संग्रह एक मार्च, 2020 से शुरू हुआ।”

रिपोर्ट में कहा गया कि समझौते के अनुच्छेद 25.1 के अनुसार, आईआरबी को तीसरे पक्ष के दावों, गैर-राजनीतिक घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं सहित ‘अप्रत्याशित’ घटनाओं से होने वाले नुकसान से बचने के लिए अपनी लागत पर उपयुक्त बीमा कवर बनाए रखना था।

कैग ने कहा कि समझौते में प्रावधान है कि ऐसी घटनाओं के कारण होने वाले नुकसान की स्थिति में किसी भी पक्ष को, दूसरे पक्ष को कोई राहत देने की जरूरत नहीं होगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आईआरबी ने अप्रत्याशित घटना के लिए अपने कारोबार का बीमा नहीं कराया था। ऐसे में आईआरबी ने लॉकडाउन के दौरान टोल राजस्व में हुए नुकसान को वहन करने और उप-रियायती शुल्क में छूट देने का अनुरोध किया था। आरआरबी के कई बार अनुरोध करने पर एमपीईएल के निदेशक मंडल ने 71.07 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया।

कैग ने कहा कि इस तरह मुआवजा देना समझौते की शर्तों के तहत सही नहीं था।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण

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