चंडीगढ़, 18 जुलाई (भाषा) दुनिया के सबसे बुजुर्ग मैराथन धावक फौजा सिंह के बेटे हरविंदर सिंह ने अपने पिता से जुड़े ‘हिट एंड रन’ मामले में आरोपी चालक की आलोचना करते हुए शुक्रवार को कहा कि वह एक स्थानीय निवासी था और उसे मानवता दिखाते हुए सिंह को घायल अवस्था में सड़क पर छोड़ने के बजाय उन्हें अस्पताल ले जाना चाहिए था।
हरविंदर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि आरोपी चालक अमृतपाल सिंह ढिल्लों जालंधर में उनके गांव ब्यास के पास रहता था और दोनों परिवार एक-दूसरे को जानते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पढ़ा है कि ढिल्लों ने दावा किया है कि उसे नहीं पता कि उसने किसे टक्कर मारी थी। हालांकि, वह एक स्थानीय निवासी है और उसे पता होना चाहिए था कि उसकी गाड़ी ने किसी बुजुर्ग को टक्कर मार दी है। अगर वह घटनास्थल से नहीं भागता और मेरे पिता को अस्पताल पहुंचाता, तो शायद उनकी जान बच सकती थी।’’
हरविंदर ने कहा कि ढिल्लों को घटना के बाद अपने परिवार से बात करनी चाहिए थी, भले ही वह डरा हुआ था।
उन्होंने कहा, ‘‘वह हमारा दुश्मन नहीं था; वह हमसे संपर्क कर सकता था और स्वीकार कर सकता था कि वह वही था। कम से कम मानवता के नाते उसे आगे आना चाहिए था। अब पुलिस ने घटना के सिलसिले में कार्रवाई कर दी है और मामला उसके हाथ में है।’’
फौजा सिंह का अंतिम संस्कार रविवार को जालंधर स्थित उनके गांव ब्यास में दोपहर 12 बजे किया जाएगा।
हरविंदर ने कहा, ‘‘विदेश में रहने वाले हमारे कई रिश्तेदार आ चुके हैं, जबकि कुछ और शनिवार तक पहुंच जाएंगे।’’
ढिल्लों (26) को मंगलवार रात गिरफ्तार किया गया और बुधवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने बताया कि ढिल्लों तीन हफ्ते पहले ही पंजाब लौटा था।
जालंधर (देहात) के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) हरविंदर सिंह ने बुधवार को बताया कि ढिल्लों की गाड़ी भी जब्त कर ली गई है। उन्होंने बताया कि करतारपुर के दसूपुर का रहने वाला ढिल्लों पर्यटक वीजा पर कनाडा गया था; लेकिन बाद में उसे ‘वर्क परमिट’ मिल गया, जो 2027 तक वैध है।
ढिल्लों को दसूपुर स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया गया, जो फौजा सिंह के बेटे के अनुसार, उनके गांव ब्यास से ज्यादा दूर नहीं है। हरविंदर ने बताया कि ढिल्लों के रिश्तेदार बृहस्पतिवार को उनसे मिलने पहुंचे और संवेदना व्यक्त की।
उन्होंने कहा, ‘‘ढिल्लों के चाचा के साथ कुछ स्थानीय लोग आए थे। वे पास ही में रहते हैं और उनमें से ज्यादातर हमारे परिवार को जानते हैं। हम भी उनमें से ज्यादातर लोगों को जानते हैं, जो हमारे गांव के आस-पड़ोस में रहते हैं। उन्होंने इस दुर्घटना पर अपनी संवेदना और दुख व्यक्त किया।’’
इससे पहले, एसएसपी ने कहा था कि प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि ढिल्लों किसी काम के चलते जल्दी में था और तेज रफ्तार से एसयूवी चला रहा था।
उन्होंने कहा था, ‘‘उस समय, ढिल्लों को उस व्यक्ति की पहचान के बारे में नहीं पता था, जिसे उसने टक्कर मारी थी। उसने हमें बताया कि वह डर गया था, इसलिए उसने गाड़ी नहीं रोकी।’’
एसएसपी ने पत्रकारों को बताया कि ढिल्लों जालंधर जा रहा था, लेकिन दुर्घटना के बाद वह विभिन्न गांवों से होते हुए घर लौट आया।
हालांकि, उन्होंने कहा कि वाहन को रोकना ढिल्लों की जिम्मेदारी थी और उसे सिंह को अस्पताल ले जाना चाहिए था।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जब फौजा सिंह (114) अपने पैतृक गांव में जालंधर-पठानकोट राजमार्ग पार कर रहे थे, तभी एसयूवी की चपेट में आने से वह पांच से सात फुट ऊपर हवा में उछल गए।
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से पंजाब में पंजीकृत उस टोयोटा फॉर्च्यूनर की पहचान की, जो हादसे के लिए जिम्मेदार थी। उसने दुर्घटना स्थल से वाहन की हेडलाइट के टुकड़े और अन्य सामान भी बरामद किए।
विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने मैराथन धावक की मौत पर संवेदना व्यक्त की, जिनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल हैं। उन्होंने सिंह के अद्वितीय व्यक्तित्व और फिटनेस के मद्देनजर भारत में युवाओं को प्रेरित करने की उनकी क्षमता की प्रशंसा की।
फौजा सिंह ने 89 साल की उम्र में अपने मैराथन करियर की शुरुआत करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हासिल की थी। अपने साहस और एथलेटिक क्षमता के कारण उन्हें ‘टर्बन्ड टॉरनेडो’ उपनाम मिला और वह मैराथन पूरी करने वाले पहले शतायु व्यक्ति थे, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में कई रिकॉर्ड स्थापित किए।
भाषा पारुल दिलीप
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