नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने देहरादून में दो भूखंडों को कथित रूप से हड़पने से जुड़े धनशोधन के एक मामले में कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई के नेता एवं पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत और उनकी पत्नी तथा कुछ अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। इन भूखंडों का बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक है।
संघीय जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि अभियोजन पक्ष की शिकायत राज्य की राजधानी देहरादून में विशेष धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएलए) अदालत के समक्ष दायर की गई थी।
आरोप पत्र में नामजद आरोपियों में हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी दीप्ति रावत, उनके कथित सहयोगी बीरेंद्र सिंह कंडारी, लक्ष्मी सिंह राणा और श्रीमती पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट शामिल हैं।
रावत (64) उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हैं। उन्होंने उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
ईडी का पीएमएलए मामला उत्तराखंड पुलिस द्वारा दीप्ति रावत और लक्ष्मी सिंह राणा के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है, जिन पर कंडारी, हरक सिंह रावत, दिवंगत सुशीला रानी और कुछ अन्य लोगों द्वारा रची गई ‘‘साजिश’’ के तहत अपने नाम पर जमीन पंजीकृत करने का आरोप है।
ईडी ने कहा, ‘‘माननीय न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद, सुशीला रानी ने अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर षड्यंत्र रचकर देहरादून के सहसपुर में स्थित भूमि के लिए दो ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ पंजीकृत करा लीं।’’
ईडी ने कहा, ‘‘ये जमीन ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ धारक बीरेंद्र सिंह कंडारी, जो हरक सिंह रावत के करीबी सहयोगी हैं, ने दीप्ति रावत और लक्ष्मी सिंह राणा को उस कीमत पर बेचीं, जो उस क्षेत्र में प्रचलित सर्किल दरों से काफी कम थी।’’
ईडी ने पीएमएलए के तहत जनवरी में 101 बीघा जमीन के दो भूखंड जब्त किए थे।
एजेंसी के अनुसार, दोनों अचल संपत्तियों की कीमत 6.56 करोड़ रुपये है, लेकिन उनका वर्तमान बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक है।
भाषा
देवेंद्र दिलीप
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