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नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में पाकिस्तान का विमर्श दोहराने का आरोप लगाया और कहा, ‘‘काश वह (गांधी) अधिक परिपक्व और बौद्धिक होते तो कम से कम संसद में मुद्दे उठाते समय हमारे नेता की बराबरी कर पाते।’’
सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले रीजीजू ने ‘पीटीआई’ के साथ साक्षात्कार में कहा कि सरकार नियमों के अनुसार किसी भी मुद्दे पर बहस के लिए तैयार है। उन्होंने विपक्ष पर ‘‘सारी मांगें मनवाने’’ की जिद करके ‘‘संसद में हावी’’ होने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि 21 अगस्त तक चलने वाले मानसून सत्र के लिए सरकार के पास पर्याप्त विधायी कार्य हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने शुरू में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सरकार का समर्थन किया था, लेकिन बाद में उन्होंने संघर्ष पर पाकिस्तानी विमर्श को दोहराना शुरू कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि हमारे विपक्ष के नेता हमारे दुश्मन देश का समर्थन कर रहे हैं, जिससे हमारे राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंच रहा है, तो हम इसे किस तरह लें? आंतरिक रूप से, हमारे बीच हर तरह की असहमति हो सकती है, क्योंकि लोकतंत्र की यही प्रकृति है… लेकिन बाहर आप दूसरे देश के विमर्श को प्रसारित कर रहे हैं। यह ऐसी बात है जो हमें अस्वीकार्य है।’’
मंत्री ने कहा कि गांधी यह तर्क दे सकते हैं कि विपक्ष के नेता के रूप में उनका काम सरकार की आलोचना करना है, लेकिन वह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान द्वारा फैलाए गए विमर्श को ही दोहरा रहे हैं।
रीजीजू ने कहा कि शुरुआत में, राहुल गांधी सरकार पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव डाल रहे थे, फिर उन्होंने तनाव कम करने का आह्वान किया और बाद में जानना चाहा कि संघर्ष के दौरान भारत ने कितने विमान खो दिए।
मंत्री ने कहा, ‘‘इसलिए मैंने आंतरिक और बाहरी के बीच बहुत स्पष्ट अंतर किया है। वह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा फैलाए गए विमर्श को ही दोहरा रहे हैं।’’
रीजीजू ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों के एक समूह ने भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया कि संघर्ष के दौरान पूरा देश एकजुट रहे।
मंत्री ने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि हमारे विपक्ष के नेता ज्यादा परिपक्व, ज्यादा समझदार और ज्यादा बौद्धिक हों, क्योंकि हमें कम से कम अपने नेता (मोदी) के अनुरूप विपक्ष के नेता की जरूरत है। हमारे प्रधानमंत्री और सभी वरिष्ठ मंत्री संसदीय कार्यों को लेकर बहुत गंभीर हैं।’’
उन्होंने दावा किया कि सरकार बहस और चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन विपक्ष केवल संसदीय कार्यवाही को रोकना चाहता है, जो लोकतंत्र में अच्छा संकेत नहीं है।
भाषा शफीक सुरेश
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