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Saturday, July 19, 2025

मुगलों के अत्याचार के खिलाफ सिख गुरुओं के संघर्ष, भुला दिये गए नायकों का एनसीईआरटी पुस्तक में उल्लेख

Newsमुगलों के अत्याचार के खिलाफ सिख गुरुओं के संघर्ष, भुला दिये गए नायकों का एनसीईआरटी पुस्तक में उल्लेख

नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की आठवीं कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में प्रतिरोध और जीवटता की कहानियां, जैसे कि मराठों का उदय, ताराबाई और अहिल्याबाई होलकर जैसी महिलाओं का योगदान, मुगलों के अत्याचार की सिख गुरुओं द्वारा अवज्ञा और आदिवासी विद्रोह को प्रमुखता से जगह दी गई है।

इस सप्ताह प्रकाशित पुस्तक, ‘‘एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडिया एंड बियॉन्ड’’, एनसीईआरटी के नये पाठ्यक्रम की पहली पुस्तक भी है जो छात्रों को दिल्ली सल्तनत, मुगलों, मराठों और औपनिवेशिक काल से परिचित कराती है।

पुस्तक में रानी दुर्गावती, रानी अबक्का और त्रावणकोर के मार्तंड वर्मा जैसे भुला दिये गए नायकों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। साथ ही, भारत की सांस्कृतिक ज्ञान परंपराओं और इसकी समृद्ध कौशल विरासत की खोज करने वाले अध्याय भी हैं।

पुस्तक के आरंभ में ‘‘इतिहास के कुछ अंधकारमय कालखंडों पर टिप्पणी’’ शीर्षक वाला एक खंड है, जिसमें एनसीईआरटी संवेदनशील और हिंसक घटनाओं, मुख्यतः युद्ध और रक्तपात, को शामिल करने के लिए संदर्भ प्रस्तुत करता है।

यह छात्रों से ‘‘क्रूर हिंसा, अपमानजनक कुशासन या सत्ता की अनुचित महत्वाकांक्षाओं के ऐतिहासिक मूल’’ को निष्पक्षता से समझने का आग्रह करता है और कहता है, ‘‘अतीत की घटनाओं के लिए वर्तमान में किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।’’

नयी पुस्तक में, 13वीं से 17वीं शताब्दी तक के भारतीय इतिहास को शामिल करने वाला अध्याय – ‘‘भारत के राजनीतिक मानचित्र का पुनर्निर्माण’’ – दिल्ली सल्तनत के उत्थान और पतन और उसके प्रतिरोध, विजयनगर साम्राज्य, मुगलों और उनके प्रतिरोध, और सिखों के उदय पर प्रकाश डालता है।

बाबर को एक ‘‘क्रूर और निर्दयी विजेता, जिसने शहरों की पूरी आबादी का कत्लेआम किया’’ और औरंगज़ेब को एक सैन्य शासक, जिसने मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट किया, बताते हुए एनसीईआरटी की नयी पाठ्यपुस्तक मुगल काल के दौरान ‘‘धार्मिक असहिष्णुता के कई उदाहरणों’’ की ओर इशारा करती है।

पुस्तक, जहां एक ओर अकबर के शासनकाल को विभिन्न धर्मों के प्रति ‘‘क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण’’ बताती है, वहीं दूसरी ओर इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि ‘‘प्रशासन के उच्च स्तरों पर गैर-मुसलमानों को अल्पसंख्यक रखा गया था।’’

चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी के बाद, अकबर को ‘‘लगभग 30,000 लोगों के नरसंहार का आदेश’’ देने वाला बताया गया है।

पुस्तक में, मराठों को न केवल छत्रपति शिवाजी महाराज के अधीन उनकी सैन्य शक्ति के लिए, बल्कि उनके समुद्री वर्चस्व और शासन के नवाचारों के लिए भी वर्णित किया गया है।

भाषा सुभाष शफीक

शफीक

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