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Monday, July 21, 2025

टीआरएफ को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित करना सही कदम : अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की समिति

Newsटीआरएफ को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित करना सही कदम : अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की समिति

(योषिता सिंह)

न्यूयॉर्क/वाशिंगटन, 21 जुलाई (भाषा) अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति ने पहलगाम हमले में संलिप्त पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किए जाने का स्वागत किया है।

समिति ने कहा कि जो लोग आम नागरिकों की हत्या करते हैं, उन्हें माफ नहीं किया जाता, बल्कि उन्हें सजा दी जाती है।

पिछले सप्ताह अमेरिका ने टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित किया था।

रिपब्लिकन सांसद ब्रायन मास्ट की अध्यक्षता वाली समिति ने शनिवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप सच बोलते हैं। ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ एक विदेशी आतंकवादी संगठन है और इसे यह दर्जा मिलना ही चाहिए।’’

समिति ने कहा, ‘‘जब आप निर्दोष लोगों की हत्या करते हैं, तो आपको माफी नहीं मिलती, सजा मिलती है। यह बात साफ और स्पष्ट है कि यह (पहलगाम हमला) एक आतंकी हमला था।’’

उसने ‘एक्स’ पर 22 अप्रैल के अपने एक पुराने पोस्ट का भी जिक्र किया, जिसमें उसने पहलगाम हमले पर ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की उस खबर की कड़ी आलोचना की थी जिसका शीर्षक था: ‘‘कश्मीर में उग्रवादियों ने कम से कम 24 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी।’’

समिति ने कहा था, “‘न्यूयॉर्क टाइम्स’, हमने तुम्हारे लिए इसे ठीक कर दिया है। यह एक सीधा-स्पष्ट आतंकवादी हमला था। चाहे भारत हो या इजराइल, जब बात आतंकवाद की आती है तो ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ हकीकत से कोसों दूर रहता है।’’

इस पोस्ट में समिति ने खबर के शीर्षक में इस्तेमाल ‘‘उग्रवादी’’ शब्द को काटकर उसकी जगह ‘‘आतंकवादी’’ शब्द को लाल रंग के मोटे अक्षरों में लिखा था।

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने टीआरएफ के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की घोषणा करते हुए कहा था कि यह आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के न्याय के आह्वान को लागू करने की वाशिंगटन की प्रतिबद्धता का हिस्सा है।

लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मुखौटे गुट टीआरएफ ने 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे।

भारत ने अमेरिकी फैसले का स्वागत किया और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे भारत-अमेरिका आतंकवाद-रोधी सहयोग की ‘मजबूत पुष्टि’ बताया।

भाषा

खारी मनीषा

मनीषा

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