तिरुवनंतपुरम, 21 जुलाई (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोमवार को सरकारी ‘डिजिटल यूनिवर्सिटी’ में भ्रष्टाचार के आरोपों का कड़े शब्दों में खंडन किया और विपक्ष के नेता वीडी सतीशन द्वारा किए गए दावों को ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ और ‘भ्रामक’ करार दिया।
सतीशन ने 12 जुलाई को मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में वित्तीय धोखाधड़ी, पद के दुरुपयोग और अवैध परियोजना संचालन के आरोपों की जांच सतर्कता ब्यूरो से कराने की मांग की थी।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के नेता ने यह भी आरोप लगाया कि संकाय सदस्यों द्वारा बनाई गई फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल विश्वविद्यालय की परियोजनाओं और धन को इधर-उधर करने के लिए किया जा रहा है।
‘डिजिटल यूनिवर्सिटी’ के संचालन का जिम्मा राज्य सरकार के आईटी विभाग के अधीन है और मुख्यमंत्री स्वयं इसके ‘प्रो-चांसलर’ हैं।
सतीशन ने जवाबदेही की मांग करते हुए इस तथ्य को उजागर किया। उन्होंने यह दावा भी किया कि विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से ऑडिटिंग की कमी ने भ्रष्टाचार के द्वार खोल दिए हैं।
विजयन ने लिखित में जवाब देते हुए आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 तक का वैधानिक ऑडिट पूरा हो चुका है और विश्वविद्यालय ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से औपचारिक रूप से आगे ऑडिट करने का अनुरोध किया है।
उन्होंने कहा कि अब कैग अगले कदम उठाएगी।
विजयन ने यह भी स्पष्ट किया कि जो कंपनी सवालों के घेरे में हैं, उसे विश्वविद्यालय की नीतियों के कानूनी ढांचे के भीतर और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की मंजूरी से गठित किया गया था।
मुख्यमंत्री ने आई-जीईआईसी संगठन को अवैध रूप से अग्रिम भुगतान किए जाने के दावों का खंडन करते हुए इस आरोप को ‘निराधार’ बताया।
उन्होंने इसे ‘धोखाधड़ी वाला संगठन’ कहे जाने के पीछे दी जा रही दलील पर सवाल उठाया और बताया कि कंपनी के बोर्ड में भारत सरकार के पूर्व नागर विमानन सचिव माधवन नांबियार जैसे प्रतिष्ठित नाम और टाटा स्टील तथा प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े अन्य लोग शामिल हैं।
विजयन ने संकाय-नेतृत्व वाले नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के विश्वविद्यालय के तौर-तरीकों का समर्थन करते हुए कहा कि इसके नियम संकाय सदस्यों को अनुसंधान और विकास के लिए गैर-लाभकारी संस्थाएं बनाने की अनुमति देते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन स्वीकृत परियोजनाओं को भ्रष्टाचार के रूप में चित्रित करना विश्वविद्यालय को बदनाम और जनता को गुमराह करने का जानबूझकर किया गया एक प्रयास है।
भाषा जितेंद्र दिलीप
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