श्रीनगर, 21 जुलाई (भाषा) जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 14 जुलाई को हुई धक्का-मुक्की की घटना को ‘शर्मनाक’ करार दिया और कहा कि इसके पीछे जो लोग हैं, उन्होंने ‘लोकतंत्र का कोई भला नहीं किया’, क्योंकि इस तरह की घटनाएं चुनावी प्रक्रिया में जनता के विश्वास को कमजोर करती हैं।
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर में वर्तमान दोहरी शासन प्रणाली आदर्श सरकार का रूप नहीं है।
अब्दुल्ला ने शहीदों के कब्रिस्तान में हुई घटना का जिक्र करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ’14 जुलाई को जो हुआ वह शर्मनाक था। ऐसा कभी नहीं होना चाहिए था।’
घटना में पुलिस ने उनके और उनकी पार्टी के सहयोगियों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया था।
अब्दुल्ला ने चेतावनी देते हुए कहा कि इसके निहितार्थ और परिणाम लंबे समय तक महसूस किए जाएंगे और यदि एक निर्वाचित सरकार के प्रमुख के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है, तो कल्पना कीजिए कि आम नागरिकों के लिए इसका क्या मतलब होगा।
उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस घटना से मतदाताओं में व्यापक निराशा पैदा हो सकती है।
उन्होंने कहा, ‘मैं पहले से ही जानता हूं कि पिछले दो चुनावों में वोट देने वाले लोग आज खुद से पूछ रहे हैं कि क्या वोट देना उचित था भी या नहीं।’
उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘यह मामला मेरा या किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है। यह पद की गरिमा, संस्था और उसके निहितार्थों से जुड़ा है और यह जम्मू-कश्मीर के लिए किसी भी तरह से शुभ संकेत नहीं है।’
उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधा और कहा कि भाजपा 2015 से 2018 के बीच ऐसी ही घटनाओं को याद करने वाली सरकार का हिस्सा थी, लेकिन उस वक्त उन्होंने कुछ नहीं कहा, क्योंकि उन्हें सत्ता का लाभ चाहिए था।
उन्होंने पूछा, “तो इससे उनकी प्रतिबद्धता और विचारधारा के बारे में क्या पता चलता है?”
वर्ष 1931 के शहीदों की तुलना जलियांवाला बाग के शहीदों से करने पर भाजपा की आलोचना का जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, “मैं भाजपा की बातों से सहमत नहीं हूं और वे मेरी बातों से सहमत नहीं हैं। यह हमारी औैर उनकी राजनीति में फर्क है।”
अब्दुल्ला ने अपनी सरकार और राज्यपाल प्रशासन के बीच जारी वार्ताओं का भी जिक्र किया, जिनका मकसद संचालन संबंधी मतभेदों को सुलझाना है। विशेष रूप से वे लंबे समय से प्रतीक्षित ‘कार्य संचालन नियमों’ पर चर्चा कर रहे हैं, जो केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन में शक्तियों और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से विभाजित करेंगी।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत अपनी सीमाओं का उल्लंघन नहीं किया है और न ही उपराज्यपाल के स्पष्ट रूप से परिभाषित अधिकार क्षेत्र में दखल देने की कोशिश की है।
भाषा योगेश दिलीप
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